लोकतंत्र रक्षक सेनानियों को भी मिलेगा पांच लाख तक मुफ्त इलाज

जागरण संवाददाता बलिया आयुष्मान योजना में लोकतंत्र रक्षक सेनानियों को भी शामिल किया गया है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 11:41 PM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 11:41 PM (IST)
लोकतंत्र रक्षक सेनानियों को भी मिलेगा पांच लाख तक मुफ्त इलाज
लोकतंत्र रक्षक सेनानियों को भी मिलेगा पांच लाख तक मुफ्त इलाज

जागरण संवाददाता, बलिया : आयुष्मान योजना में लोकतंत्र रक्षक सेनानियों को भी शामिल किया गया है। अब उन्हें भी पांच लाख तक मुफ्त इलाज की सुविधा मिलेगी। इसके लिए उनका गोल्डेन कार्ड बनाया जाएगा। ऐसे सेनानियों का विवरण जुटाया जा रहा है। इस योजना में शुरुआत में सिर्फ वर्ष 2011 में हुई जनगणना के आधार पर पात्रों के नाम शामिल किए गए ऐ। बाद में मुख्यमंत्री के स्तर से वंचित पात्रों के नाम भी शामिल किए गए। अब इस योजना में सेनानियों को भी शामिल कर लिया गया है।

निदेशक ने डीएम को जारी किया पत्र -- स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कल्याण परिषद के निदेशक ने सभी जिलों के डीएम को इसके लिए पत्र जारी किया है। इसमें सेनानियों के परिवार का परिचय पत्र, सदस्य संख्या, माता पिता का नाम, संबंध, आयु, गांव का नाम, महिला, पुरुष, जिला आदि का डाटा मांगा गया है। इमरजेंसी के दौरान गए थे जेल, सही थीं यातनाएं : लोकतंत्र रक्षक सेनानी वे लोग हैं जो इमरजेंसी के विरोध में लोकनायक जयप्रकाश नारायण की अगुआई में अहम किरदार निभाए थे। संपूर्ण क्रांति आंदोलन का शंखनाद किए थे। इनको जेल में डाल दिया गया था। कई तरह की यातनाएं सहनी पड़ी थीं। लोकतंत्र रक्षक सेनानी संगठन के संयोजक धीरेंद्र नाथ श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदेश भर में 6531 लोकतंत्र सेनानी थे। इसमें कुछ लोग इस लोक से विदा हो चके हैं। अभी भी छह हजार से अधिक सेनानी हैं। जनपद के सेनानी चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि बलिया में भी सेनानियों की संख्या लगभग 100 है। 2004 में लोकतंत्र सेनानी का मिला दर्जा --

सपा सरकार ने वर्ष 2006 में इमरजेंसी में जेल जाने वाले राजनीतिक बंदियों को 'लोकतंत्र सेनानी' का दर्जा दिया। इन्हें तीन हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन देने की शुरुआत भी की गई। इसके बाद राशि बढ़कर छह हजार, 10 हजार, 15 हजार हो गई। इसके बाद भाजपा की सरकार ने 20 हजार की राशि कर दी। पहले सिर्फ लोकतंत्र रक्षक सेनानियों को ही यह पेंशन मिलता था। उनकी विधवा को पेंशन पाने का अधिकार नहीं था, लेकिन अब यह अधिकार भी मिल गया है।

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