दूसरे विश्वयुद्ध में शामिल रहे आजाद हिंद फौज के सिपाही शंभूनाथ ने दुनिया छोड़ी

दूसरे विश्व युद्ध में शामिल रहे आजाद हिंद फौज के सिपाही शंभू नाथ ठाकुर का हृदयगति रुकने के कारण भोर में निधन हो गया।

By Nawal MishraEdited By: Publish:Fri, 17 Aug 2018 08:58 PM (IST) Updated:Fri, 17 Aug 2018 08:58 PM (IST)
दूसरे विश्वयुद्ध में शामिल रहे आजाद हिंद फौज के सिपाही शंभूनाथ ने दुनिया छोड़ी
दूसरे विश्वयुद्ध में शामिल रहे आजाद हिंद फौज के सिपाही शंभूनाथ ने दुनिया छोड़ी

बलिया (जेएनएन)। आजाद हिंद फौज के सिपाही के रूप में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अगुआई में दूसरे विश्व युद्ध में शामिल शंभू नाथ ठाकुर (103) का हृदयगति रुकने के कारण शुक्रवार की भोर में निधन हो गया। उल्लेखनीय है कि शंभू नाथ ठाकुर काफी दिनों तक नेताजी के सानिध्य में रहे थे और दूसरे विश्वयुद्ध में उन्होंने सक्रिय भूमिका अदा की थी। उनकी अंत्येष्टि राजकीय सम्मान के साथ बहुआरा गंगा तट पर की गई।

1939 से 1944 तक रहे साथ

बैरिया निवासी शंभू नाथ ठाकुर 1939 से 1944 तक नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आजाद हिंद फौज में सिपाही के रूप में रहे। उन्होंने नेताजी के साथ म्यांमार (पूर्व में बर्मा), इंफाल व कोहिमा में अंग्रेजों के खिलाफ लोहा लिया था। शंभू नाथ ठाकुर को नेताजी से बेहद लगाव था, जिसके कारण वह उनके संपर्क में गए और आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए। शंभू नाथ ठाकुर के पौत्र विनोद ठाकुर बताते हैं कि द्वितीय विश्वयुद्ध के दिनों की बातें परिवार के साथ बहुत साझा नहीं करते थे किंतु उन्होंने यह जरूर बताया था कि नेताजी जैसा भारत बनाना चाहते थे, वह भारत नहीं बन पाया।

बाद में भारतीय फौज में हुए शामिल

शंभू नाथ ठाकुर 1945 में अपने पारिवारिक कारणों से आजाद हिंद फौज छोड़कर वापस गांव आ गए। बाद में नेताजी के निधन के बाद देश आजाद हुआ तो शंभू नाथ ठाकुर बिहार रेजीमेंट में भर्ती हो गए। जहां कुछ दिनों की सेवा के बाद वह सेवानिवृत्त हुए। शंभूनाथ ठाकुर अति साधारण परिवार से थे, उनका परिवार उनके सेवानिवृत्त होने के बाद कुछ दिनों अभाव में रहा किंतु जब उन्हें सरकार ने पेंशन देना शुरू किया तब से उनकी व्यवस्था ठीकठाक हो गई। प्रति वर्ष 23 जनवरी को शंभू नाथ ठाकुर ने नेताजी की फोटो रखकर उसपर फूलमाला चढ़ाते थे और उनको सलाम करते थे। 

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