सुरेमनपुर दियरांचल के अस्तित्व पर होगा खतरा

जागरण संवाददाता, बैरिया (बलिया) : घाघरा के कटान से सुरेमनपुर दियरांचल के आधा दर्जन गांव

By JagranEdited By: Publish:Sun, 15 Jul 2018 09:23 PM (IST) Updated:Sun, 15 Jul 2018 09:23 PM (IST)
सुरेमनपुर दियरांचल के अस्तित्व पर होगा खतरा
सुरेमनपुर दियरांचल के अस्तित्व पर होगा खतरा

जागरण संवाददाता, बैरिया (बलिया) : घाघरा के कटान से सुरेमनपुर दियरांचल के आधा दर्जन गांवों के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न होने वाला है। सरकार इस तरफ ध्यान देना बिल्कुल ही उचित नहीं समझ रही है। उसे इंतजार है भयावह स्थिति की, जिसमें राहत व बचाव के नाम पर सरकारी धन का बंदरबांट की सके। सुरेमनपुर दियारांचल के शिवाल मठिया, गोपाल नगर, वशिष्ठ नगर सहित आधा दर्जन गांवों के उत्तर तरफ पिछले तीन-चार वर्षों से तेजी से घाघरा का कटान जारी है। अब तक हजारों एकड़ उपजाऊ भूमि घाघरा में विलीन हो चुकी है। यह नदी निरंतर इन गांवों के करीब आती जा रही है। फलस्वरूप यहां के लोगों को अपनी भविष्य की ¨चता सताने लगी है। दियारांचल के लोगों ने बताया कि 50 की दशक में घाघरा नदी में पुराने सुरेमनपुर-बकुल्हा रेल लाइन को अपने आगोश में ले लिया था। कई गांव कटान के जद में आकर विस्थापित हो चुके थे। तब रेलवे को मांझी से दल छपरा तक नई रेल लाइन बनानी पड़ी थी। वहीं दुर्जनपुर, हेमंतपुर सहित कई गांवों को रेलवे लाइन के भीतर बसाना पड़ा था। उस स्थिति की पुनरावृत्ति होने की आशंका बढ़ती जा रही है। इस संबंध में गोपालनगर निवासी सपा के पूर्व द्वाबा के अध्यक्ष राजप्रताप यादव, शिवाल मठिया निवासी ओमप्रकाश ¨सह, मानगढ़ निवासी संजय कुमार, देवपुर मठिया निवासी रामकुमार तिवारी सहित दर्जनों लोगों ने बताया कि सरकार चाहे किसी भी दल की हो सुरेमनपुर दियारांचल हमेशा से उपेक्षित रहा है। भाजपा सरकार में तो इस क्षेत्र में कटानरोधी कार्य की उम्मीद ही नहीं है क्योंकि इस क्षेत्र में भाजपा का वोट बैंक नहीं है। इस संबंध में बाढ़ विभाग के अधिकारियों से संपर्क साधा गया तो उनका जवाब था कि गांवों को कटान से बचाने के लिए उनके पास कोई योजना नहीं है। जब बंधा, सड़क या रेल लाइन कटने लगेगा तब जरूरी उपाय किया जाएगा। अगर जनप्रतिनिधि चाहे तो शासन से धन मंजूर कराकर यहां कटानरोधी कार्य शुरू करा सकते हैं।

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