जान जोखिम में डाल जर्जर आवासों में रहते स्वास्थ्यकर्मी
क्कद्धश्रह्लश्र - 5 - ॥द्गड्डद्यह्लद्ध 2श्रह्मद्मद्गह्मह्य द्यद्ब1द्बठ्ठद्द द्बठ्ठ ह्यद्धड्डढ्डढ्ड4 द्धश्रह्वह्यद्गह्य श्चह्वह्ल ड्डह्ल ह्मद्बह्यद्मक्कद्धश्रह्लश्र - 5 - ॥द्गड्डद्यह्लद्ध 2श्रह्मद्मद्गह्मह्य द्यद्ब1द्बठ्ठद्द द्बठ्ठ ह्यद्धड्डढ्डढ्ड4 द्धश्रह्वह्यद्गह्य श्चह्वह्ल ड्डह्ल ह्मद्बह्यद्मक्कद्धश्रह्लश्र - 5 - ॥द्गड्डद्यह्लद्ध 2श्रह्मद्मद्गह्मह्य द्यद्ब1द्बठ्ठद्द द्बठ्ठ ह्यद्धड्डढ्डढ्ड4 द्धश्रह्वह्यद्गह्य श्चह्वह्ल ड्डह्ल ह्मद्बह्यद्म
जागरण संवाददाता, नगरा (बलिया) : प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में निर्मित एक दर्जन कर्मचारी आवास पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं। बरसात के मौसम में आवासों की छतें टपक रही हैं। छतों के प्लास्टर टूट कर गिर रहे हैं। कर्मचारियों की माने तो भयवश रात में उन्हें नींद नहीं आती है। वर्षों पूर्व बने एक दर्जन कर्मचारी आवासों की कभी मरम्मत नहीं होती। आरोप है कि मरम्मत के नाम पर जो धनराशि मिलती है उसका बंदरबांट कर लिया जाता है। इन आवासों में कुछ कर्मचारी तो अकेले रहते हैं कितु अधिकतर कर्मी परिवार समेत रहते हैं। छतों पर झाड़ झंखाड़ उग आए हैं। बार-बार उच्चाधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराए जाने के बाद भी न तो किसी जनप्रतिनिधि का ध्यान इस समस्या की तरफ जाता है न संबंधित उच्चाधिकारी ही इसका संज्ञान लेते हैं।
प्रभारी चिकित्साधिकारी डा.सर्वेश कुमार गुप्ता का कहना है कि आवास मरम्मत के नाम पर कोई बजट नहीं मिलता है। इस संबंध में बार-बार उच्चाधिकारियों को पत्र भेजा जाता है कितु नतीजा सिफर रहता है। बजट उपलब्ध होने पर ही आवासों की मरम्मत हो पाएगी।