वैक्सीन व दवा के शोध में जिले के दो लाल की भूमिका

इतिहास गवाह है जब देश पर संकट के बादल छाए हैं तब-तब बागी धरती

By JagranEdited By: Publish:Mon, 10 May 2021 07:02 PM (IST) Updated:Mon, 10 May 2021 07:02 PM (IST)
वैक्सीन व दवा के शोध में जिले के दो लाल की भूमिका
वैक्सीन व दवा के शोध में जिले के दो लाल की भूमिका

जागरण संवाददाता, बलिया : इतिहास गवाह है जब देश पर संकट के बादल छाए हैं, तब-तब बागी धरती के लाल आगे आएं हैं। चाहे वह देश की आजादी की बात हो या देश पर आए कोरोना का संकट। कोरोना काल में जिले के दो लाल आगे आकर इसकी दवा खोजने में अपनी अहम भूमिका निभाई है। कोरोना वैक्सीन व 2-डीआक्सी-डी ग्लूकोज (2-डीजी) में शामिल मुख्य दोनों जिले के सिकंदरपुर तहसील के रहने वाले हैं।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के विज्ञानी डा. अनिल मिश्र सिकंदरपुर के मिश्रचक गांव के रहने वाले हैं। उनका जीवन हमेशा से बेहद सादगीपूर्ण रहा है। हाईस्कूल तक की शिक्षा उन्होंने सिकंदरपुर में ही पूरी की। देवरिया से बीएससी व गोरखपुर से एमएससी की डिग्री ली। वह बीएचयू में केमेस्ट्री में पीएचडी 1988 में पूरी कर ली। पीएचडी करने पर मिलने वाले स्कॉलरशिप तीन हजार रुपये में से दो हजार अपने घर पर भेजते थे। पांच भाई-बहनों में वह दूसरे नंबर पर थे। कोरोना की दूसरी लहर के समय दवा 2-डी आक्सी-डी अहम भूमिका निभाने वाली है। कोरोना की पहली लहर में कोरोना वैक्सीन की तलाश में भटक रही दुनिया के बीच अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में कार्यरत लिलकर (सिकंदरपुर) निवासी डा. संजय राय ने अपनी अहम भूमिका निभाई। यह वैक्सीन लोगों को अब लगाई भी जा रही है। मध्यम वर्ग परिवार से निकल कर ऊंचाई तक पहुंचने वाले डा. संजय राय शुरू से नए-नए प्रयोग करते रहे हैं। वर्ष 2003 में उनकी नियुक्ति एम्स दिल्ली में हुई। वह भारतीय पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन (आइफा) के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने कोविड-19 की देशी वैक्सीन के शोध में अहम भूमिका निभाई थी। वर्तमान समय में यह वैक्सीन काफी कारगर साबित हो रही है।

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