मतगणना पूर्व जीत-हार के गणित में उलझे समर्थक

शातिपूण माहौल में चुनावी प्रक्रिया सम्पन्न होने के बाद प्रशासन ने जहां राहत की सांस ली वहीं प्रत्याशियों के जीत हार को लेकर चट्टी चौराहे पर चर्चा का बाजार गर्म है। बूथवार पोलिग को आधार बना कर जीत हार का समीकरण हल किया जा रहा है तो एक्जिटपोल की रिपोर्ट सहित कई बिदुओं पर गरमा-गरम बहश हो रही है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 May 2019 10:02 PM (IST) Updated:Tue, 21 May 2019 06:24 AM (IST)
मतगणना पूर्व जीत-हार के गणित में उलझे समर्थक
मतगणना पूर्व जीत-हार के गणित में उलझे समर्थक

जासं, सागरपाली (बलिया) : शांतिपूर्ण माहौल में चुनावी प्रक्रिया संपन्न होने के बाद प्रशासन ने जहां राहत की सांस ली वहीं प्रत्याशियों के जीत-हार को लेकर सोमवार को चट्टी-चौराहों पर चर्चा का बाजार गर्म रहा।

बूथवार पोलिग को आधार बनाकर जीत-हार का समीकरण हल किया जा रहा है तो एक्जिट पोल की रिपोर्ट सहित कई बिदुओं पर गरमागरम बहस हो रही है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चित्तू पांडेय व पूर्व मंत्री गौरी भैया की पहचान एनएच-31 से सटा सागरपाली बाजार। सोमवार की सुबह धर्मेद्र साहनी की चाय की दुकान पर जुटे युवा व वृद्ध चाय की चुस्कियों के साथ अखबार पलटते नजर आए। माहौल और मौके की नजाकत देख हम भी वहीं ठहर गए। औपचारिकताओं से शुरू हुई बातचीत देखते ही देखते राजनीतिक मोड़ में आ गई। स्थानीय अंजनी सिंह ने शांतिपूर्ण मतदान की बात के साथ चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि जिसको जहां वोट देना था उसने शांतिपूर्वक अपने मत का प्रयोग किया। हां, इतनी मेहनत के बाद भी वोट का प्रतिशत कम होना जरूर चितनीय है। वहां मौजूद लोगों ने भी अंजनी की बातों से सहमति जताई, लेकिन बगल में मौजूद अरविद यादव ने एक्जिट पोल पर आरोपों की झड़ी लगाते हुए कहा कि एक्जिट पोल का नतीजा धरातलीय समीकरण के विपरीत है, जो एक विशेष पार्टी पर केंद्रित है।

निर्वाचन आयोग को इस पर रोक लगानी चाहिए। अब तक बात-बात में हामी भर रहे अदालत सिंह ने कहा कि चुनाव में युवाओं ने राष्ट्रीयता को प्रमुखता देते हुए मतदान किया है, तभी मुन्ना बहादुर ने जातिवाद से ऊपर उठकर विकास व राष्ट्रीयता के नाम पर मतदान की बात कह कर बहस को एक नया मोड़ दे दिया। बात अब राष्ट्र तथा राष्ट्रीयता पर आकर टिक गई। इसी बीच रमेश साहनी ने मतदाताओं की खामोशी से हो रही बेचैनी पर नमक छिड़कते हुए कहा कि प्रौढ़ और समझदार मतदाताओं ने प्रत्याशियों व समर्थकों का गणित फेल कर दिया है।

अखबार में नजरें गड़ाए युवाओं की बात सुन रहे शिक्षक हीरालाल चर्चा में अपने को शामिल करते हुए कहा कि राजनीतिक गिरावट के इस दौर में नेताओं से नैतिकता की अपेक्षा करना बेकार है। जब सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ साजिश हो सकती है तो चुनावी बाजी मारने के लिए किसी भी हद को पार किया जा सकता है। भले ही लोकतंत्र की हत्या हो जाए, लेकिन सत्ता का सुख मिलना चाहिए। चाय की अड़ी पर चर्चा के दौरान झंखाड़ी चौधरी, विमलेश चौधरी, लाल राजभर, दाऊ सिंह, बिजली यादव, सुनील पांडेय, प्रिस राय आदि भी मौजूद थे।

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