'छोटी सरकार' के धुरंधरों के 2.25 करोड़ जब्त
आंकड़ों में जमानत राशि (2015) 23097250 -- जमा धनराशि 22986250 -- जब्त धनराशि 111000 -
आंकड़ों में जमानत राशि (2015)
2,30,97,250 -- जमा धनराशि
2,29,86,250 -- जब्त धनराशि
1,11000 -- वापस हुई धनराशि
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किस पद के लिए कितनी जमानत राशि
500 : ग्राम पंचायत सदस्य
2000 : प्रधान पद के लिए
2000 : क्षेत्र पंचायत सदस्य
4000 : जिला पंचायत सदस्य
5000 : ब्लाक प्रमुख के लिए
8000 : जिला पंचायत अध्यक्ष जागरण संवाददाता, बलिया : भारतीय लोकतंत्र में चुनाव मेले की तरह होता है। इसके विविध रंग दिखते हैं। उत्सव सा माहौल रहता है। चुनाव में एक से बढ़कर एक रोचक तथ्य सामने आते हैं। ऐसी ही एक कहानी प्रत्याशियों की जमानत की धनराशि से जुड़ी है।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2015 में सवा दो करोड़ से अधिक रुपये जमा हुए थे। इसमें से करीब एक लाख रुपये की ही वापसी हुई। शेष धनराशि सरकार के खजाने में जमा करा दी गई है।
हर चुनाव में करोड़ों रुपये जमानत के रूप में जमा होते हैं। प्रधान से लेकर अध्यक्ष तक सबके लिए अलग-अलग धनराशि तय है, एक चौथाई मत नहीं प्राप्त करने वालों की जमानत स्वत: जब्त हो जाती है। वहीं अन्य प्रत्याशी जीत की खुशी या हार के गम में इसे वापस लेना भूल जाते हैं। कुछ तो इसे स्टेटस सिबल से भी जोड़ लेते हैं। मन में कभी ख्याल ही नहीं आया:
जयप्रकाश नगर के अशोक यादव 2015 में चुनाव हार गए थे। वे कहते हैं जमानत राशि वापस लेने के बारे में कभी मन में ख्याल ही नहीं आया। कभी सोचा नहीं राशि वापसी के लिए
खवासपुर में 2015 में चुनाव जीतने वाले दशरथ यादव ने कहा कि दो बार चुनाव लड़ने के बाद जमानत राशि वापस नहीं ली। ऐसा कभी सोचा ही नहीं।