बाल गृह में 16 अनाथ बच्चों को मिल रहा घर जैसा माहौल
जागरण संवाददाता फेफना (बलिया) जिले के फेफना में बाल गृह स्थापित है। इसकी क्षमता 50 बच्चों
जागरण संवाददाता, फेफना (बलिया) : जिले के फेफना में बाल गृह स्थापित है। इसकी क्षमता 50 बच्चों को रखने की है, यहां हर संसाधन मौजूद हैं। बच्चों को खेलने से लेकर पढ़ने तक इंतजाम है। वर्तमान में कोरोना से अनाथ हुए बच्चे तो इसमें नहीं हैं, लेकिन घर-परिवार से बिछड़े 16 बच्चे यहां हंसी-खुशी जी रहे गए हैं। कोरोना के चलते जनपद में 58 बच्चे अनाथ हो गये हैं। सरकार इसी सप्ताह बच्चों के खातों में सहायता राशि भेजने की तैयारी है, इसमें दो बच्चों को एसओएस चिल्ड्रेन स्कूल वाराणसी में प्रवेश दिलाया गया है। 58 बच्चों में से 51 बच्चों ने पिता खोया है तो चार के सिर से मां की ममता रूठ गई है। तीन बच्चों की मां और पिता दोनों इस दुनिया में नहीं हैं। वे अपने रिश्तेदारों व अभिभावक के साथ रहते हैं। ऐसे सभी बच्चों के लिए सरकार ने सहायता का जो प्रावधान किया है, वह किसी वरदान से कम नहीं है।
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बालगृह में बोले बच्चे : घर जैसा है माहौल, नहीं कोई कमी बाल गृह में रह रहे बच्चों में से कइला ने बताया कि यहां किसी भी चीज की कमी नहीं है। हम भाई की तरह मिलकर रहते हैं। खेलने और पढ़ने के लिए पर्याप्त समय मिलता है। --हैप्पी ने बताया कि गर्मी के मौसम में जब बिजली कट जाती है तो जरनेटर चालू कर दिया जाता है। सभी बच्चे एक-दूसरे का सहयोग भी करते हैं। --नागेंद्र ने बताया कि अभी के समय में 16 बच्चे हैं, यही हमारा परिवार है। हर तरह की खुशियां हम आपस में साझ़ा करते रहते हैं। --रोहित ने बताया कि समय-समय पर अधिकारी भी यहां आते हैं और हमलोगों से बात करते हैं। सुवधाएं मुहैया कराते हैं। इससे खुशी होती है।
--------------- अपने बच्चों की तरह होती देखभाल बालगृह में रहने वाले बच्चों की देखभाल अपने बच्चों की तरह होती है। किसी की तबियत खराब होने पर तत्काल चिकित्सक से दिखाया जाता है। पानी, बिजली की व्यवस्था भी ठीक है। बच्चों के खेलने के लिए पर्याप्त संसाधन भी मौजूद हैं। इनकी देखभाल से मन को भी शांति मिलती है। तेज बहादुर सिंह, अधीक्षक, बाल गृह, फेफना