तीन हजार रुपये के 'एनगेट' साफ्टवेयर में बुक हो रहे 15 ई-टिकट

जिले में रेलवे की अपराध अनुसंधान शाखा और आरपीएफ के फंदे में आ चुके ई-टिकट के तीन दलालों ने कई अहम राज खोले हैं। मास्टरमाइंड को खोजा जा रहा है। उसकी भी तलाश हो रही है जिसने अवैध साफ्टवेयर बनाया है।

By Edited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 06:38 PM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 10:54 PM (IST)
तीन हजार रुपये के 'एनगेट' साफ्टवेयर में बुक हो रहे 15 ई-टिकट
ई-टिकट के तीन दलालों ने कई अहम राज खोले हैं।

जागरण संवाददाता, बलिया : जिले में रेलवे की अपराध अनुसंधान शाखा और आरपीएफ के फंदे में आ चुके ई-टिकट के तीन दलालों ने कई अहम राज खोले हैं। मास्टरमाइंड को खोजा जा रहा है। उसकी भी तलाश हो रही है, जिसने अवैध साफ्टवेयर बनाया है। पूर्व में गोंडा में फरवरी 2021 में गिरफ्तार किए जा चुके बस्ती के अवैध साफ्टवेयर डेवलेपर मोहम्मद हाफिज अशरफ से भी पूछताछ की तैयारी है। तीनों दलालों ने पूछताछ में 'एनगेट' नामक नए अवैध साफ्टवेयर के इस्तेमाल की बात कुबूल की है। इसलिए रेलवे साफ्टवेयर के अवैध डेवलेपर तक पहुंचने के लिए विशेष आइटी टीम की मदद ली जा सकती है। यह साफ्टवेयर तीन हजार रुपये में मिल जा रहा है। एक महीने की वैद्यता रहती है। इसकी खरीद आनलाइन की जा रही है। दलाल इसे अलग-अलग कंप्यूटर में इंस्टाल करते हैं। फिर वे आइआरसीटीसी की यूजर आइडी व पासवर्ड को हैक कर साफ्टेवयर की मदद से 20 सेकेंड में 15 ई-टिकट बना ले रहे हैं। बता दें कि रेलवे के सभी सॉफ्टवेयर प्रोग्राम सेंटर फार रेलवे इंफोरमेशन सिस्टम (क्रिस) तैयार करता है। रेलवे की ई टिकट की व्यवस्था आइआरसीटीसी के हाथों में है। यही लाइसेंस देता है, फिर लोग ई टिकट बनाने का धंधा करते हैं। यात्री को जब कन्फर्म टिकट नहीं मिल पाता, तो उसके पास 'तत्काल' के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं होता। स्टेशन पर ट्रेन खुलने के एक दिन पहले 'तत्काल' टिकट बनते हैं। एसी कोच में सुबह दस बजे और स्लीपर के लिए सुबह 11 बजे से तत्काल टिकट बनते हैं। जालसाज इसी सॉफ्टवेयर के जरिये तत्काल सीटों पर कब्जा करते हैं। इधर, खिड़कियों पर आरक्षण कराने वाले यात्री निराश होते हैं। ---- महानगरों तक फैला है जाल, मुंबई-दिल्ली में बैठकर है¨कग जांच में पता चला है कि ई-टिकट के अवैध कारोबार के तार मुंबई-दिल्ली में बैठे हैकरों से जुड़े हैं। यह गिरोह तत्काल टिकट प्रोग्राम को हैक कर लेता है। गिरोह तत्काल टिकट का समय शुरू होने से आधे घंटे पहले संबंधित अवैध कारोबारी के पास एक ¨लक भेजते हैं। ¨लक मिलते ही कारोबारी पहले से ही दो या तीन तत्काल टिकटों के फार्म ऑनलाइन भरकर तैयार रखे रहता है। एक फार्म पर चार यात्रियों के टिकट बनते हैं। तत्काल टिकट खुलते ही ¨लक की मदद से चंद सेकेंड में यात्रियों के कन्फर्म टिकट बन जाते हैं। मुंबई और सूरत की खुफिया एजेंसियों को अलर्ट कर दिया गया, लेकिन अभी तक ई टिकट के अवैध धंधे के सरगना अपराधी हाथ नहीं आ सके हैं। ---- जो दलाल बलिया में पकड़े गए हैं। उनसे पूछताछ की जा रही है। नए अवैध साफ्टवेयर से ई-टिकट बनाने की बात सामने आई है। साफ्टवेयर डेवलेपर तक पहुंचने की कोशिश है। -- अभय राय, प्रभारी अपराध आसूचना शाखा, वाराणसी।

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