गरज-चमक के साथ पड़ी फुहारें, ओलावृष्टि के आसार
जासं, बहराइच : बेमौसम बारिश तराई के किसानों के लिए ¨चता का सबब बनी हुई है। कई दिनों
जासं, बहराइच : बेमौसम बारिश तराई के किसानों के लिए ¨चता का सबब बनी हुई है। कई दिनों से मौसम में हो रहे बदलाव से रबी फसलों के उत्पादन पर असर पड़ रहा है। पूर्व में हुई ओलावृष्टि से तिलहनी फसलों का नुकसान पहले ही हो चुका हे। गुरुवार को सुबह से ही आसमान में काले बादल छाए रहे। गुरुवार को दोपहर बाद गरज-चमक के साथ फुहारें पड़ने लगी। ओलावृष्टि की आशंका से किसान सहमे रहे। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि 16 फरवरी तक तराई में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय रहेगा। इस दौरान बारिश के साथ ओलावृष्टि भी हो सकती है।
बंगाल खाड़ी में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होकर तराई की ओर बढ़ रह है। इसका असर तराई क्षेत्र में सुबह से ही दिख रहा है। पुरवा बयार चलने के साथ ही आसमान में काली घटाएं छाई रहीं। गरज-चमक के साथ बारिश भी होती रही। मौसम वैज्ञानिक डॉ. एमवी ¨सह ने बताया कि पुरवा हवा चलने से मौसम का मिजाज बदला है। साइक्लोन तराई में सक्रिय दिख रहा है, लेकिन सर्वाधिक प्रभावित पश्चिम क्षेत्र रहेगा। अगले 16 फरवरी तक गरज- चमक के साथ 20 से 25 मिली मीटर बारिश होने की उम्मीद है। बारिश से फसलों को ज्यादा नुकसान नहीं होगा। पछुआ हवा चलने से अरहर व सरसों की फसल गिर सकती है। इससे पैदावार प्रभावित हो सकता है। मौसम के इस बदलाव से दिन के पारे में आंशिक परिवर्तन हो सकता है, लेकिन न्यूनतम पारा लुढ़केगा। गलन व ठंड बढ़ सकती है। न्यूनतम पारा लुढ़क कर छह डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया और अधिकतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। माहू कीट लगने की संभावना
मौसम पर्यवेक्षक शंख माधव तिवारी ने बताया कि बारिश के बाद मौसम पछुआ हवा रफ्तार पकड़ेगी। इससे फसलों में कीट लगने की संभावाना ज्यादा रहेगी। उन्होंने बताया कि सरसों व अन्य फसलों में माहू कीट का प्रयोग रहेगा। उन्होंने कहा कि मौसम साफ होते ही फसलों को कीटों से बचाने के लिए किसान जरूरी दवाओं का छिड़काव अवश्य करें।