वनकर्मियों की सुरक्षा कवच बनेगी लेपर्ड सेफ्टी किट

रेस्क्यू के समय बाघ व तेंदुआ के हमले से बचेगी रेस्क्यू टीम शासन ने जारी किया 8.75 लाख बजट जल्द होगी खरीद

By JagranEdited By: Publish:Tue, 16 Mar 2021 11:01 PM (IST) Updated:Tue, 16 Mar 2021 11:01 PM (IST)
वनकर्मियों की सुरक्षा कवच बनेगी लेपर्ड सेफ्टी किट
वनकर्मियों की सुरक्षा कवच बनेगी लेपर्ड सेफ्टी किट

बहराइच : अब रेस्क्यू के दौरान बाघ, तेंदुआ व अन्य वन्यजीवों के हमले में वन विभाग के रेस्क्यू टीम की जिदगी सुरक्षित रहेगी। अक्सर गांवों में घुसे वन्यजीवों को पकड़ने के दौरान वन्यजीव वनकर्मियों पर हमलावर हो जाते हैं। इसको देखते हुए रेस्क्यू टीम लेपर्ड सेफ्टी किट से लैस करने के वन विभाग के फैसले पर शासन ने मुहर लगा दी है। कई अन्य आधुनिक उपकरणों के खरीद को भी मंजूरी दी गई है। इसके लिए शासन ने भरपूर बजट भी जारी कर दिया है।

बहराइच वन प्रभाग 12125 हेक्टेअर में फैला हुआ है। यह प्रभाग कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग से सटा हुआ है। नेपाल सीमा से भी लगा होने से बहराइच वन प्रभाग अतिसंवेदनशील श्रेणी में आता है, लिहाजा बाघ, तेंदुआ, हाथी समेत अन्य हिसक वन्यजीवों की मौजूदगी प्रभाग में बनी रहती है। खासकर जंगल से सटे गन्ने के खेत में वन्यजीवों की आमद बनी रहती है।

बहराइच वन प्रभाग में सदर, कैसरगंज, नानपारा, चकिया, रुपईडीहा व अब्दुल्लागंज समेत छह रेंज हैं। चकिया, अब्दुल्लागंज व रुपईडीहा प्राकृतिक वन से आच्छादित है।

आए दिन शिकार व पानी की तलाश में वन्यजीव गांवों में पहुंच रहे हैं। रेस्क्यू के दौरान कई बार वनकर्मी घायल भी हो चुके हैं। ऐसे खतरों से बचाने के लिए मानव-वन्यजीव संघर्ष निवारण योजना के तहत कई जरूरी उपकरणों की खरीद के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया था। शासन ने लेपर्ड सेफ्टी किट के लिए 5.16 लाख रुपये के बजट को मंजूरी दी है।

टाइगर व लेपर्ड केज पर खर्च होंगे 2.50 लाख रुपये :

टाइगर व लेपर्ड को सुरक्षित जिले से दूसरे स्थानों पर ले जाने के लिए पिजड़ा की व्यवस्था वन प्रभाग के पास नहीं हैं। जरूरत पर लखीमपुर या फिर दूसरे प्रांत जिले से लेना पड़ता है। अब टाइगर व लेपर्ड ट्रांसपोर्टिग केज खरीदने के लिए भी शासन ने 2.50 लाख रुपये का बजट आवंटित किया है।

::वर्जन

बहराइच वन प्रभाग में जरूरी उपकरणों की खरीद की जाएगी। यह उपकरण लेपर्ड व टाइगर के रेस्क्यू के दौरान फ्रंट लाइन वर्कर के लिए बेहद जरूरी हैं।

- मनीष कुमार सिंह, डीएफओ बहराइच

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