पर्यटन स्थली के रूप में विकसित होगी चित्तौरा झील
ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व संजोए है चित्तौरा झील जल संचयन व क्षेत्रवासियों के लिए रोजगार के बढ़ेंगे अवसर
बहराइच : अपने ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्व को संजोए चित्तौरा झील के कायाकल्प की उम्मीद परवान चढ़ने लगी है। कभी बहराइच शहर के अनारकली से चित्तौरा तक कल-कल बहने वाली झील दशकों से प्रशासनिक उपेक्षा से उबरने का इंतजार कर रही है।
इतिहास में दर्ज लोक आस्था से जुड़े महर्षि बालार्क का आश्रम और ऋषि अष्टावक्र की तपोस्थली इसी चित्तौरा झील के तट पर रही। विदेशी आक्रांता सैयद सालार मसूद गाजी और वीर शिरोमणि महाराजा सुहेलदेव की लड़ाई की गवाह भी यही चित्तौरा झील का किनारा है। प्रशासनिक उपेक्षा के कारण झील का दायरा सिमट गया है।
अनारकली से होकर चित्तौरा तक सात किलोमीटर दूरी तय करने वाली झील महज एक बड़े सरोवर की भांति चित्तौरा के छोटे से क्षेत्र में सीमित रह गई है। अनारकली से चित्तौरा जाने वाले वाले जल मार्ग पर शहर के किनारे लोगों ने कब्जा कर ऊंचे भवन खड़ा कर लिए हैं। शहर से झील को जाने वाला जल मार्ग विलुप्त हो गया है।
प्राकृतिक जलस्त्रोत से परिपूर्ण चित्तौरा में औद्योगिक क्षेत्र भी है। जल संचयन की महत्ता को दरकिनार कर लगी औद्योगिक इकाइयों ने भरपूर जलदोहन किया। बदले में औद्योगिक कचरा, गंदा पानी झील में छोड़ दिया। नतीजतन यह ऐतिहासिक झील अपना अस्तित्व बचाने को संघर्ष कर रही है। 39 लाख से संवेरेगी झील की सूरत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 17 फरवरी को जनसभा कर चित्तौरा झील को विश्व के पर्यटन मानचित्र पर ला दिया। इससे क्षेत्रवासियों की उम्मीदों को पंख लगे हैं। प्रधानमंत्री ने वर्चुअल व मुख्यमंत्री ने सभा को संबोधित करते हुए चित्तौरा झील के तट पर महाराजा सुहेलदेव की भव्य प्रतिमा व झील के सुंदरीकरण की बात कही थी। तभी से क्षेत्रवासियों को चित्तौरा झील के जीर्णाेद्धार का इंतजार है। अगर झील का क्षेत्र पर्यटन स्थली के रूप में विकसित होता है तो क्षेत्रवासियों को रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे। --------------------- चित्तौरा झील को पर्यटन स्थली के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए शासन ने बजट को मंजूरी दे दी है। जल्द ही कार्य शुरू करा दिया जाएगा।
- सुभाषचंद्र सरोज, बीडीओ चित्तौरा