सैकड़ों बीघे फसल नदी में डूबी, आबादी तक पहुंच रहा पानी

घूरदेवी स्पर पर एक सेंटीमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से बढ़ रहा जलस्तर एल्गिन ब्रिज पर स्थिर 10 सेंटीमीटर लाल निशान से ऊपर नदी

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 10:47 PM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 10:47 PM (IST)
सैकड़ों बीघे फसल नदी में डूबी, आबादी तक पहुंच रहा पानी
सैकड़ों बीघे फसल नदी में डूबी, आबादी तक पहुंच रहा पानी

बहराइच: जिले के तीनों बैराजों से शुक्रवार को तीन लाख 12 हजार 799 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। इससे घूरदेवी स्पर पर घाघरा का जलस्तर एक सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है, जबकि एल्गिन ब्रिज पर नदी स्थिर हैं। यहां लाल निशान से नदी का जलस्तर 10 सेंटीमीटर ऊपर है। शारदा नदी लाल निशान से दस सेंटीमीटर ऊपर बह रही हैं।

सरयू ड्रेनेज खंड प्रथम के सहायक अभियंता बीबी पाल ने बताया कि शुक्रवार की सुबह आठ बजे शारदा बैराज से एक लाख 57 हजार 290, गिरिजापुरी बैराज से एक लाख 50 हजार 636 व सरयू बैराज से चार हजार 873 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। एल्गिन ब्रिज पर घाघरा का जलस्तर लाल निशान 106.07 मीटर के सापेक्ष 106.176 मीटर रिकॉर्ड किया गया।

घूरदेवी स्पर पर घाघरा का जलस्तर लाल निशान 112.135 मीटर के सापेक्ष 111.590 मीटर रहा। यहां घाघरा लाल निशान से 54 सेंटीमीटर नीचे बह रही हैं। शुक्रवार की सुबह से घाघरा पुन: एक सेंटीमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से बढ़ने लगी हैं। शारदा भी ऊफान पर है।

बौंडी: महसी तहसील में जलस्तर बढ़ने से घाघरा के तटवर्ती गांवों की फसलें बाढ़ के पानी में डूब गई हैं, जबकि निचले गांवों जर्मापुर, कायमपुर, जोगापुरवा, रानीबाग, कुट्टीबाग, छत्तरपुरवा गांवों में आबादी की ओर बाढ़ का पानी तेजी से फैलने लगा है। जलस्तर में उतार-चढ़ाव के बीच कटान जारी है। जलस्तर अपडेट जिले की नदियों का जलस्तर नदी-बैराज-लाल निशान-जलस्तर घाघरा- एल्गिन ब्रिज-106.07-106.176 घाघरा-गिरजापुरी-136.80-135.55 घाघरा-घूरदेवी-112.135-111.590 सरयू-गोपिया-133.55-130.55 शारदा-शारदा-135.15-135.25 (जलस्तर मीटर में है) --------------- धारा में समाहित हो रही एक और विरासत:

बौंडी: पिपरी गांव स्थित जंग-ए-आजादी का साक्षी रहा किला घाघरा की कटान के चलते लहरों में समाहित हो रहा है। आधे से अधिक किला धारा समाहित हो चुका है। कटान को देखते हुए यह कह पाना मुश्किल है कि किले का जीवन कितने दिन शेष बचा हैं। यह किला शेर-ए-पंजाब की यादें संजोए है।

वर्ष 2013 में किले के दक्षिण स्थित राजा जगज्योति सिंह, अंबर सिंह, गुलजार सिंह व दलजीत सिंह की समाधि धारा में समाहित हो चुकी है। किला महाराजा रणजीत सिंह के पौत्र राजा जगज्योति सिंह ने सन 1867 में बनवाया था। 1857 के गदर के बाद वे लाहौर से आकर यहां बसे थे। तीन पीढि़यों के बाद राजा दलजीत सिंह ने विरासत की कमान संभाली। दलजीत की मृत्यु के बाद उनके भांजे दलबीर सिंह ने किले की देखरेख की। किले की दीवारों पर बनी नक्काशी उस समय के कारीगरों की कौशल क्षमता को परिलक्षित करती हैं।

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