ब्रह्मचर्य की उपासना से मानव कल्याण : महेश शास्त्री
बरनावा के श्री चंद्रप्रभ दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र मंदिर में दशलक्षण पर्व के दशम सोपान का वर्णन किया।
बागपत, जेएनएन। बरनावा के श्री चंद्रप्रभ दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र मंदिर में दशलक्षण पर्व के दशम सोपान उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म के पावन प्रसंग पर 41 दिवसीय शांतिनाथ विधान में श्रद्धालुओं ने अर्घ्य समर्पित किए।
विधानाचार्य पंडित महेश शास्त्री ने कहा कि ब्रह्मचर्य की उपासना का शुभ अवसर मात्र मानव को उपलब्ध होता है, क्योंकि बुद्धि का पूर्ण विकास सोचने समझने की शक्ति मानव को ही प्राप्त है। मानव जीवन की सफलता ब्रह्मचर्य की उपासना में है। ब्रह्मचर्य की उपासना के बिना अनंत सुख की उपलब्धि स्वप्न में भी संभव नहीं है। पांचों इंद्रियों को निरस्त कर देना उन पर विजय प्राप्त कर आत्मा का एकछत्र शासन करना ब्रह्मचर्य है। ब्रह्मचर्य की गहन अनुभूति ही जीवन में परिवर्तन लाती है। उधर बिनौली के श्री दिगंबर जैन पुराना मंदिर में पंडित अशोक शास्त्री ने पूजा संपन्न कराई। इस अवसर पर रविद्र जैन, नीरज जैन, सचिन जैन, श्रवण जैन, विनेश जैन, अशोक जैन, अनिल जैन, सतीश जैन, यश जैन, सार्थक जैन, सुरेश जैन, लोकेश जैन, राकेश जैन, देवेंद्र जैन, राहुल जैन आदि मौजूद रहे। श्रद्धालुओं ने अंगीकार किया उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म
भगवान नेमीनाथ के वैराग्य पर पेश की नाटिका
संवाद सहयोगी, खेकड़ा : जैन कालेज रोड स्थित भगवान महावीर दिगंबर जैन मंदिर में रविवार को ब्रह्मचारी रवि जैन ने भगवान का जलाभिषेक कराया। इसके बाद शांतिधारा की क्रियाएं हुई जो प्रवीण, अमित जैन ने पूर्ण की। धर्मचर्चा में ब्रह्मचारी रवि ने उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म पर प्रकाश डाला। श्रद्धालुओं ने उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म को अंगीकार किया।
शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में रात को भगवान नेमीनाथ के वैराग्य धारण करने को बच्चों ने नाटिका पेश की। बच्चों की नाटिका को देखकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। बड़ागांव के त्रिलोकतीर्थ व बड़ा दिगंबर जैन मंदिर में भी श्रद्धालुओं ने कोरोना नियमों का पालन कर भगवान का पूजन किया और उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म अंगीकार किया।