श्मशान में हुआ संवेदनाओं का अंतिम संस्कार
जब से बारिश का मौसम शुरू हुआ तब से बागपत का श्मशान घाट जलभराव से घिरा है।
बागपत, जेएनएन। जब से बारिश का मौसम शुरू हुआ, तब से बागपत का श्मशान घाट जलभराव से घिरा है। लोग दाह संस्कार को शव लेकर श्मशान के पास जाते ही अर्थी लेकर वापस लौटते हैं। फिर शुरू होती है कंधों पर रखी अर्थी लिए दाह संस्कार का ठिकाना ढूंढने की जंग। इसके बावजूद नगर निकाय और सरकारी तंत्र की संवेदना जागने का नाम ही नहीं ले रही है।
पिछले कई माह से बागपत शहर के श्मशान घाट तक पहुंचने वाली हर जमीन पर कई-कई फुट पानी भरा है। शहर के पांच वार्डों का पानी लेकर बहने वाला नाला श्मशान घाट से आगे नहीं जाता। यानी पूरा पानी श्मशान घाट के पास भरता रहता है।
अब बारिश ने जलभराव की समस्या और गहरा दी है। स्थिति इतनी शर्मनाक और चिताजनक है कि आए दिन लोग अपनों की अर्थी कंधों पर उठाकर श्मशान तक ले जाते हैं, लेकिन श्मशान के पास पहुंचते ही लोग कंधों पर उठाई गई अर्थी को लेकर वापस लौट आते हैं। रविवार को 85 वर्षीय अनिल गुप्ता
की अर्थी को इस श्मशान से वापस लेकर पांच किमी दूर अग्रवाल मंडी टटीरी के श्मशान में दाह संस्कार किया। इससे पहले भी लोगों को एक दर्जन से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार यमुना किनारे या कहीं और करना पड़ा।
अब जरा सोचिए कि मरने वाले की यह अंतिम इच्छा कैसे पूरी होगी कि उनका अंतिम संस्कार अपने बागपत शहर की माटी पर हो। नगर पालिका परिषद बागपत तथा बाकी सरकार तंत्र इतना असंवेदनशील हो गया है कि शहर के श्मशान तक पहुंचने को जल निकासी नहीं करा रहा हैं। ऐसे में दाह संस्कार कहां होंगे, इस सवाल का जवाब नगर पालिका परिषद के जिम्मेदारों के पास नहीं है। यूं लोगों में नगर निकाय और सरकारी तंत्र की इस नाकामी को लेकर आक्रोश है। जल निकासी कराएंगे
-एसडीएम अनुभव सिंह ने कहा कि वाकई गंभीर समस्या है। हमनें जाकर देखा लेकिन जल निकासी का रास्ता दिख नही रहा है। फिर भी कोई रास्ता निकालकर श्मशान के पास भरे पानी की निकासी नगर निकाय से कराएंगे।
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-दो दिन से शहर से बाहर हूं। बारिश बंद होते ही सर्वोच्च प्राथमिकता से जल निकासी कराकर श्मशान तक पहुंचने का रास्ता बनवाया जाएगा।
-राजूद्दीन एडवोकेट-चैयरमैन
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-हमने पहले भी पंपसेट लगवाकर निकासी कराई थी। अब काफी पानी भरा है। जैसे ही मौसम साफ होगा वैसे ही पंप सेट लगाकर पानी निकासी कराएंगे।
-ललित आर्य-अधिशासी अधिकारी