अनफिट वाहन दौड़ रहे सड़कों पर, दे रहे मौत को न्योता
जनपद की सड़कों पर अनफिट वाहन दौड़ रहे हैं।
बागपत, जेएनएन। जनपद की सड़कों पर अनफिट वाहन दौड़ रहे हैं। पिछले पांच साल में 5,427 वाहनों की फिटनेस एक्सपायर हुई, लेकिन दोबारा वाहनों का फिटनेट नहीं कराया गया। इनमें अधिकांश वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं, जो मौत को न्योता दे रहे हैं। वहीं फिटनेस के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है। यहां पर फिटनेस चेक करने के यंत्र भी नहीं हैं। अफसर वाहनों की स्थिति (ब्रेक, लाइट, रिफ्लेक्टर आदि) के अलावा प्रदूषण, इंश्योरेंस संबंधित दस्तावेज चेक कर ही फिटनेस सर्टिफिकेट जारी कर देते हैं। बाइक, कार व अन्य निजी वाहन का एक बार में 15 साल के लिए फिटनेस होता है। ट्रांसपोर्ट वाहन का पहले आठ साल तक प्रत्येक दो-दो साल बाद फिटनेस कराना होगा, फिर प्रत्येक वर्ष फिटनेस कराना होता है। --------
न कंपनी, न कोई मानक, खुद ही तैयार कर लेते हैं वाहन.. नाम है जुगाड़ यहां पर बड़ी संख्या में बाइक, स्कूटर व अन्य वाहनों के साथ छेड़छाड़ करके मनमाफिक वाहन तैयार कर रखे हैं, जिसका नाम है जुगाड़। जुगाड़ दिनभर हाईवे व अन्य मार्गो पर फर्राटे भरते है। न केवल सामान की ढुलाई करते है, बल्कि यात्रियों को भी एक स्थान से दूसरे स्थान पर लेकर जाते है। उनको रोकना तो दूर टोकने की भी अफसर जरूरत नहीं समझते। जो बड़ी संख्या में हादसों का कारण बन रहे हैं। किसान निजी काम के लिए इस्तेमाल कर सकता है ट्रैक्टर ट्राली
संभागीय निरीक्षक (प्राविधिक) विनय कुमार सिंह ने बताया कि किसान सिर्फ अपने कार्य के लिए ही ट्रैक्टर ट्राली का इस्तेमाल कर सकता है। खेत से अपना गन्ना ही चीनी मिल पहुंचा सकता है और किसी का नहीं। अनफिट वाहनों पर की जाती है कार्रवाई : आरआइ
संभागीय निरीक्षक (प्राविधिक) विनय कुमार सिंह ने बताया कि अभियान चलाकर अनफिट वाहनों के चालान किए जाते हैं। पांच साल में 5,427 वाहनों की फिटनेस एक्सपायर हुई। उक्त वाहन स्वामियों ने दोबारा वाहनों का फिटनेट नहीं कराया है।
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एआरटीओ विभाग के रिकार्ड के मुताबिक बागपत में 1,45,739 वाहन पंजीकृत हैं। इनमें निजी वाहन 1,24,295 और ट्रांसपोर्ट वाहन 21,444 हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं। बस- 2,597
टैक्सी- 3,400
कार - 3,482
जीप - 4
ट्रैक्टर- 11,112
बाइक - 67,635
स्कूटर - 18,562
मोपेड - 1,941 समय पर कराते हैं बसों का फिटनेस : हिम्मत सिंह
मेरठ-बागपत- बड़ौत-छपरौली-टांडा मोटर बस यूनियन के संचालक प्रबंधक हिम्मत सिंह का कहना है कि बसों की फिटनेस के लिए पहले ऑनलाइन आवेदन करते है। निर्धारित तिथि पर बस को एआरटीओ दफ्तर ले जाया जाता है। अफसर बस चेक कर फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करते है। उन्होंने बताया कि समय से फिटनेस कराई जाती है। इससे डीजल की बचत के साथ-साथ हादसा होने की संभावना भी कम रहती है।