फुटपाथ के अतिक्रमण के पीछे दो वजह, टकराव और मिलीभगत

शहर में सड़कों किनारे फुटपाथों पर अतिक्रमण होने के पीछे दो कारण निकले हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 08:58 PM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 08:58 PM (IST)
फुटपाथ के अतिक्रमण के पीछे दो वजह, टकराव और मिलीभगत
फुटपाथ के अतिक्रमण के पीछे दो वजह, टकराव और मिलीभगत

बागपत, जेएनएन। शहर में सड़कों किनारे फुटपाथों पर अतिक्रमण होने के पीछे दो कारण निकलकर सामने आए हैं। पहला यह है कि नगर पालिका अधिकारी नहीं चाहते कि अतिक्रमण हटाने के दौरान दुकानदार हंगामा करें और नया बखेड़ा खड़ा हो या टकराव हो। दूसरा यह है कि पुलिस की मिलीभगत, जो अतिक्रमण हटाना नहीं चाहती है। यही कारण है कि जब भी फुटपाथों पर अतिक्रमण हटाओ अभियान चलता है तो उसके पीछे-पीछे दोबारा अतिक्रमण शुरू कर दिया जाता है। हां, सरकारी फाइलों में अतिक्रमण हटवा ही दिया जाता है और मौके के फोटोग्राफ्स के साथ रिपोर्ट शासन को भेज दी जाती है। इक्का-दुक्का स्थानों को छोड़कर सरकारी फाइलों में अभी भी शहर अतिक्रमण से मुक्त नजर आता है।

अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी नगर पालिका, प्रशासन और पुलिस की है। समय-समय पर अभियान चलाए और फुटपाथ और सड़कों को अतिक्रमण मुक्त कराएं, जिससे पैदल चलने वाले लोगों को किसी प्रकार की परेशान न हो और शहर की सड़कें जाम से भी मुक्त हो। लेकिन ऐसा होता नहीं है। अतिक्रमण की समस्या होने के बावजूद शहर में अतिक्रमण हटाया नहीं जाता है। एक विभाग दूसरे विभाग का इंतजार करता है कि वह अतिक्रमण हटवाने की शुरुआत करे। इसी में लंबा वक्त बीत जाता है और अतिक्रमण नहीं हटाया जाता है। शासन से जब अतिक्रमण हटवाने के निर्देश आते हैं तो ही नगर पालिका, प्रशासन और पुलिस अतिक्रमण हटवाने के लिए शहर की सड़कों पर निकलती है और फुटपाथ और सड़कों को अतिक्रमण मुक्त कराती है। उधर, दिल्ली-सहारनपुर नेशनल हाईवे के फुटपाथों पर भी अवैध कब्जे कर रखे हैं। इन फुटपाथों पर कहीं बाइक मैकेनिक बाइक की मरम्मत करता दिखाई देता है, तो कहीं वाहन खड़े दिखाई देते हैं। नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी अनुज कुमार कौशिक का कहना है कि लोगों की परेशानी और जाम की समस्या को देखते हुए समय-समय पर शहर में अतिक्रमण हटाया जाता है, लेकिन कुछ दुकानदार दोबारा अतिक्रमण कर लेते हैं। उधर, जब भी शासन के निर्देश आते हैं तो अभियान चलाकर फुटपाथ और सड़कों को अतिक्रमण मुक्त कर दिया जाता है। ऐसा नहीं है कि नगर पालिका दबाव के कारण अतिक्रमण नहीं हटवाती है। अतिक्रमण पर ध्यान नहीं देती पुलिस

जैसा की शहर में अतिक्रमण और जाम की समस्या से परेशान लोगों का कहना है कि पुलिस दुकानदारों से मिलीभगत के कारण फुटपाथ और सड़कों से अतिक्रमण नहीं हटवाती है। हां, पुलिस इतना अवश्य करती है कि जब भी नगर पालिका और प्रशासन अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाता है तो उनके साथ खड़ी अवश्य दिखाई देती है, लेकिन पुलिस मन से अतिक्रमण हटवाती नहीं दिखाई देती है यदि किसी सड़क पर जाम लग जाता है तो पुलिसकर्मी जाम को खुलवा देते हैं, लेकिन वहां से अतिक्रमण नहीं हटवाते हैं।

तय नहीं की जाती किसी की जिम्मेदारी

हालांकि शहर में लगभग एक साल से अतिक्रमण हटाओ अभियान नहीं चला है, लेकिन उससे पहले जितनी भी बार फुटपाथ और सड़कों से अतिक्रमण हटाओ अभियान के अंतर्गत दुकानों को सामान फुटपाथ और सड़कों से हटाया गया है तो अभियान समाप्त होने के बाद फुटपाथ और सड़कों पर दोबारा अतिक्रमण कर लिया जाता है। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि नगर पालिका, प्रशासन और पुलिस अतिक्रमण तो हटवा देते हैं, लेकिन दोबारा अतिक्रमण न हो, इसके लिए किसी की भी जिम्मेदारी तय नहीं करते हैं। इसी का फायदा उठाकर दुकानदार और रेहड़ी ठेले वाले फुटपाथों पर अतिक्रमण कर लेते हैं। ऐसे दुकानदारों के खिलाफ शायद ही कभी किसी विभाग ने कार्यवाही की हो। अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ हो कार्रवाई

शहर के रहने वाले तरुण कुमार का कहना है कि शहर के फुटपाथों से अतिक्रमण तो हटवाया जाता है, लेकिन दोबारा अतिक्रमण न हो, इसके लिए किसी भी अधिकारी या कर्मचारी की जिम्मेदारी तय नहीं की जाती है और न ही इस बाबत संबंधित दुकानदार के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। लौहड्डा गांव के रहने वाले दीपक का कहना है कि शहर आते हैं तो पैदल चलना मुश्किल हो जाता है। नगर पालिका, प्रशासन और पुलिस को चाहिए कि जब भी अतिक्रमण हटवाए तो बाद में जिम्मेदारी भी तय करे कि यदि कोई दुकानदार दोबारा अतिक्रमण करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी। यदि ऐसा हो तो दोबारा अतिक्रमण की समस्या सामने नहीं आएगी।

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