पूर्वजों के दरख्तों की छांव में कट रहा जीवन

हम रोना रोते हैं प्रदूषण का लेकिन पर्यावरण को लेकर कतई गंभीर नहीं।

By Edited By: Publish:Thu, 02 Jul 2020 10:02 PM (IST) Updated:Thu, 02 Jul 2020 10:03 PM (IST)
पूर्वजों के दरख्तों की छांव में कट रहा जीवन
पूर्वजों के दरख्तों की छांव में कट रहा जीवन

बागपत, जेएनएन। हम रोना रोते हैं प्रदूषण का, लेकिन पर्यावरण को लेकर कतई गंभीर नहीं। ढूंढे से एक फीसद लोग भी ऐसे नहीं मिले जो अपने जीवन में हर साल पौधारोपण कर परवरिश करते हों। एक तिहाई लोगों ने पर्यावरण बचाने को कभी पौधारोपण का पुण्य नहीं कमाया है। बाकी लोगों में अधिकतर पौधोरोपण की रस्म तक सिमटे हैं। हमें जो थोड़ी-बहुत आक्सीजन और छांव मिल रही है वह पूर्वजों के लगाए पौधों की देन है। आइए बताते हैं दैनिक जागरण के सर्वे में सामने आई पौधारोपण की हकीकत..। एक तिहाई भू-भाग पर वनीकरण होना चाहिए लेकिन बागपत में एक फीसद से भी कम एरिया पर वन है। जागरण ने बागपत में अलग-अलग स्थानों पर हर वर्ग के 200 लोगों से बात करने पर पौधारोपण और उनकी देखभाल को लेकर हैरान और परेशान करने वाला सच सामने आया है। किसान सूबे ¨सह 61 साल पार कर चुके लेकिन कभी पौधा नहीं रोपा। पूर्वजों ने आम बाग जरूर लगाया था जिसका अस्तित्व मिट गया है। वहीं, 32 वर्षीय सचिन बिना लागलपेट के स्वीकार करते हैं कि जीवन में पौधारोपण नहीं किया है। यह महज बानगी है वरना 64 लोग यानी 32 फीसद लोग ऐसे मिले जिन्होंने कभी अपने जीवन में एक भी पौधा नहीं रोपा है। 68 फीसद लोग करते हैं पौधारोपण -68 फीसद लोगों ने जीवन में एक से 30 बार पौधारोपण किया है। बावली निवासी 22 वर्षीय हर्ष आठ साल से हर बरसात में आम-अमरूद, जामुन और अशोक का पौधारोपण करते हैं। वहीं 38 वर्षीय पवनेश ने गत साल सरकारी अभियान से प्रेरित हो जीवन में पहली बार पौधा रोपा। लधवाड़ी निवासी 54 वर्षीय प्रदीप कुमार दो दशक से हर साल पौधा रोपते हैं। 10 फीसद लोग करते हैं पौधों की देखभाल -¨चताजनक है कि लोग पौधारोपण के बाद देखभाल करना भूल जाते हैं। महज 10 फीसद लोग पौधारोपण बाद नियमित देखभाल का फर्ज निभाते हैं। हर साल पौधा रोपते हैं एक फीसद लोग -बागपत में 200 लोगों में दो व्यक्ति यानी कि एक फीसद लोग हर साल पौधारोपण कर पर्यावरण बचाने में जुटे हैं। साफ है कि पौधारोपण व उनकी परवरिश को लेकर तस्वीर ज्यादा संतोषजनक नहीं है। 20 फीसद लोगों को सरकारी अभियान से प्रेरणा -अच्छी बात है कि 20 फीसद लोगों में दो तीन साल में सरकारी अभियान से प्रेरित हो पौधारोपण के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है। मवीकलां निवासी शताक्षी कहतीं हैं कि गत साल जब मुझे पता चला कि योगी जी ने अभियान चला रखा है तो मैने उनसे प्रेरित होकर अपने घर पौधा लगाया है। पौधारोपण में पीछे नहीं महिला -सुखद यह है कि कि बागपत में पौधारोपण करने में महिलाए पीछे नहीं हैं। गत साल अगस्त में एक दिन 40 हजार महिलाओं ने पौधारोपण किया था। पौधे रोपकर भूल जाते हैं अफसर -50 सरकारी अधिकारियों और कर्मियों से भी पौधारोपण को लेकर सवाल पूछे तो यह बात सामने आई कि उनमें 45 लोगों यानी 90 फीसद ने पौधारोपण किया लेकिन इनमें 20 फीसद भी ऐसे अधिकारी व कर्मचारी नहीं मिले जिन्होंने पौधा लगाने के बाद फिर उनकी परवरिश की हो। रोपते हैं अच्छे पौधे सर्वे में अच्छी बात यह सामने आई कि 90 फीसद लोगों ने बागपत में आम, अमरुद, सहजन, शीशम, जामुन, कदंब, गुलमोहर, अशोक, नीम, पीपल, सागौन और बरगद जैसी अच्छी प्रजाति के पौधे रोपते हैं। लाखों की आमदनी -डौला निवासी ब्रजभूषण शर्मा हर साल पौधारोपण करते हैं। वह खेतों में एक हजार से ज्यादा पौधे रोप चुके हैं। बोले कि मेरे दादा रधुनाथ ने जो पेड लगाए थे उनमें जर्जर पेड़ तथा शीशम और पोपुलर के पेड़ बेचने से हमें सात लाख रुपये की आमदनी मिली है।

chat bot
आपका साथी