पंचायत चुनाव में दांव पर लगी सियासी दलों की प्रतिष्ठा

त्रि स्तरीय पंचायत चुनाव में मतदान संपन्न हो गया है लेकिन इस चुनाव में सियासी दलों की प्रतिष्ठा कई जगह दांव पर लगी हुई है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 12:21 AM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 12:21 AM (IST)
पंचायत चुनाव में दांव पर लगी सियासी दलों की प्रतिष्ठा
पंचायत चुनाव में दांव पर लगी सियासी दलों की प्रतिष्ठा

जेएनएन, बागपत: त्रि स्तरीय पंचायत चुनाव में मतदान संपन्न हो गया है, लेकिन इस चुनाव में सियासी दलों की प्रतिष्ठा दांव पर है। मतदान के अंतिम क्षण तक सियासी धुरंधर पार्टी के उम्मीदवारों की जीत को हर संभव प्रयास करते दिखे। भाजपा और रालोद की तो अग्नि परीक्षा है, क्योंकि चुनाव परिणाम तय करेंगे कि कौन कितने पानी में हैं।

भाजपा, रालोद, सपा, बसपा और कांग्रेस ने जिला पंचायत सदस्य पदों पर उम्मीदवार मैदान में उतारकर चुनाव लड़ा है। किसान आंदोलन के बीच मतदान हुआ पंचायत चुनाव सियासी दलों के लिए खास मायने रखता है। बागपत में सांसद तथा तीनों विधायक भाजपा के हैं, इसलिए उसके सामने अपना किला बचाने की चुनौती है।

भाजपा विधायकों एवं संगठन के पदाधिकारियों ने मतदान खत्म होने तक पार्टी के उम्मीदवार जिताने को कोई कसर नहीं छोड़ी। वहीं रालोद भी पीछे नहीं रही, क्योंकि उसके सामने भी अपनी खोई सियासी जमीन पाने की चुनौती है।

रालोद के धुरंधर भी मतदान शुरू होने से लेकर संपन्न होने तक पार्टी उम्मीदवारों को जिताने के लिए जुटे रहे। वहीं सपा और बसपा के नेता भी पार्टी उम्मीदवारों को जीत दिलाने के लिए एड़ी- चोटी का जोर लगाते नजर आए। तभी तो चुनाव संपन्न होते ही सियासी धुरंधरों ने जमीनी फीडबैक लेकर पार्टी उम्मीदवारों की जीत-हार का पता लगाने को गुणा-भाग करना शुरू कर दिया है, लेकिन असलियत दो मई को मतगणना परिणाम से सामने आएगी।

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बागी बिगाड़ सकते हैं खेल

भाजपा, रालोद और सपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने ही बागी हैं, जिन्होंने पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर बगावत कर पंचायत चुनाव मैदान में ताल ठोंकी है। बागी उम्मीदवारों के कारण कई पार्टी के उम्मीदवारों का खेल बिगाड़ सकता हैं। हालांकि भाजपा उन चार नेताओं को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर चुकी जो पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।

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