यूं लिखी गई सपा नेताओं के निष्कासन की पटकथा
जिला पंचायत अध्यक्ष पद अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित है। भाजपा अपने टिकट पर अनुसूचित जाति की किसी महिला को जिला पंचायत सदस्य नहीं जिता पाई। सपा नेत्री बबली के भाजपा ज्वाइन कर लेने से पार्टी को जिला पंचायत अध्यक्ष पद की उम्मीदवार मिल गई है।
जेएनएन, बागपत: जिला पंचायत अध्यक्ष पद अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित है। भाजपा अपने टिकट पर अनुसूचित जाति की किसी महिला को जिला पंचायत सदस्य चुनाव नहीं जिता पाई। वार्ड 18 से सपा से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीतीं बबली ने भाजपा ज्वाइन की, जिससे भाजपा को जिला पंचायत अध्यक्ष पर चुनाव लड़ाने को उम्मीदवार मिल गईं है। बबली के कदम से सपा और रालोद में खलबली मच गई। सपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव पर रालोद उम्मीदवार ममता को समर्थन दिया हुआ है।
बताया गया कि सपा के कई नेताओं ने बबली को भाजपा ज्वाइन कराने में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ओमकार यादव व सपा पूर्व जिलाध्यक्ष किरणपाल उर्फ बिल्लू की भूमिका होने की शिकायत सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव यादव से की। रालोद ने भी दोनों सपा नेताओं को भाजपा के लिए काम करने की बात सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से बताई, जिसपर अखिलेश यादव ने दोनों को सपा से बाहर का रास्ता दिखाने में देरी नहीं की।
सपा और रालोद के नेताओं का मानना है कि बबली को भाजपा में शामिल नहीं कराई जाती, तो भाजपा को जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव लड़ाने को उम्मीदवार नहीं मिलती।
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दोनों सपा के पुराने नेता रहे
ओमकार यादव सपा के गठन से पार्टी में हैं। वह साल 2001 में बागपत जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए थे। वर्ष 2014
में अखिलेश यादव की सरकार के समय वह बागपत के सपा जिलाध्यक्ष रहे हैं। किरणपाल उर्फ बिल्लू प्रधान भी शुरूआत से
सपा से ही जुड़े रहे हैं।
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क्या अभयवीर जैसा
निष्कासन है
-वहीं रालोद और सपा के के कई कार्यकर्ताओं को कहते सुना कि पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ओमकार यादव तथा पूर्व सपा जिलाध्यक्ष किरणपाल उर्फ बिल्लू का निष्कासन कहीं अभयवीर यादव जैसा तो नहीं। बता दें कि गत साल अभयवीर यादव
को छह साल से सपा से निष्कासित किए थे, लेकिन कुछ महीने बाद ही वह सपा के कार्यक्रम में नजर आने लगे।
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रालोद से जयचंद बाहर करें
-- रालोद नेता सतीश चौधरी ने ओमकार यादव और बिल्लू प्रधान के सपा से निष्कासन होने के पत्र को टैग करते हुए
ट्वीट किया कि यह सपा का अच्छा और साहसिक कदम है। पदाधिकारी कितना भी बड़ा क्यों ना हो, लेकिन पार्टी व संगठन
से बड़ा नहीं हो सकता। काश..राष्ट्रीय लोकदल संगठन कुछ सीख लें और पार्टी के अंदर रहकर पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे
जयचंदों पर कार्रवाई करें। भाजपा और बसपा भी जयचंदों पर कार्रवाई कर चुकी है, फिर रालोद क्यों कार्रवाई नहीं करता।