बेमौसम बारिश पर जमीन से निकाला आलू का बीज
रटौल के साथ साथ लहचौड़ा गौना सहवानपुर बड़ागांव व भैड़ापुर आदि गांव में खेती की जाती है।
बागपत, जेएनएन। रटौल के साथ साथ लहचौड़ा, गौना सहवानपुर, बड़ागांव व भैड़ापुर आदि गांव में बड़े स्तर पर आलू की खेती की जाती है। अक्टूबर माह में आलू बुवाई काम शुरू हो जाता है। क्षेत्र में काफी किसानों ने आलू की फसल की बुआई की है। किसानों के अनुसार आलू की फसल बुआई के बाद सिचाई दो से तीन हफ्ते बाद की जाती है। रविवार से हो रही बेमौसम बारिश के कारण खेतों में पानी भर गया है। आलू के बीज के सड़ने की संभावना बन गई है। इस पर किसानों ने खेतों में बुआई किया हुआ आलू के बीज को निकालना शुरू कर दिया है। उत्पादक ओमदत्त यादव ने बताया कि आलू की फसल बुआई के दौरान काफी समय तक पानी की आवश्यकता नही पड़ती है। फसल बुआई के बाद पानी भर जाने से किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ेगी। ऐसे में बीज निकलने से केवल लागत का ही नुकसान होगा। दूसरी तरफ बारिश से खेत जलमग्न होने से आलू की फसल के पिछड़ने की संभावना बनी है। किसान रहीस, रणवीर, गजेंद्र, रजाहसन ने बताया कि उन्होंने आलू की फसल के लिए खेत तैयार किए, लेकिन पानी भरने से फसल की बुआई देरी से की जाएगी। मौसम में बदलाव ने कराया ठंडक का एहसास
बीते 48 घंटे में मौसम में आया बदलाव ठंड का एहसास करा रहा है। सोमवार को दूसरे दिन रुक-रुककर बूंदाबांदी होती रही, जिससे जनजीवन तो सामान्य रहा मगर ठंड बढ़ने से लोगों को अपने एसी-पंखे आदि बंद रखकर पैक होना पड़ गया।
रविवार से बिगड़ा मौसम सोमवार को भी दिन-भर रंग बदलता रहा। हालांकि क्षेत्र में हल्की बारिश ही हुई मगर मौसम में हुए बदलाव से अचानक ठंड बढ़ी हुई महसूस होने लगी है। बारिश का पानी दूसरे दिन भी सड़कों पर भरा रहा, जिससे वाहन चालकों को आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दिन भर बादल से ढके रहने के बाद सूर्य देव शाम के समय कूछ देर के लिए दर्शन दिए, जो पूर्व दिशा में आकर्षक इंद्रधनुष आकार ले गया। उधर, दाहा क्षेत्र में इंद्रधुनष दिखने के बाद कई ग्रामीणों का मानना है कि बारिश के बाद आसमान में इंद्रधुनष दिखाई देने के बाद आगे बारिश होने की संभावना क्षीण रहती है।