पेड़-पौधों का भी इलाज कर रहे डॉक्टर साहब
लॉकडाउन के बीच कोरोना को हराने की जंग जारी है।
बागपत, जेएनएन। लॉकडाउन के बीच कोरोना को हराने की जंग जारी है। ऐसे में हर किसी को अपनी जिंदगी की चिंता है। यह चिंता होनी भी चाहिए लेकिन, उन्हें इंसानी जिंदगी के साथ पेड़-पौधों के जीवन की भी फिक्र है। लॉकडाउन में देखरेख के अभाव में पेड़-पौधे सूख रहे हैं। उन्होंने बीड़ा उठाया हरियाली को बचाने का और लेकर निकल पड़े हरित एंबुलेंस। एंबुलेंस में खाद-पानी के साथ आवश्यक दवाएं भी हैं। उनकी टीम हजारों पौधों को जीवनदान दे चुकी है। ये शख्स हैं डाक्टर दिनेश बंसल।
लॉकडाउन में सबकुछ बंद होने का खामियाजा हरियाली को भी भुगतना पड़ रहा है। सड़क किनारे व सार्वजनिक स्थानों पर लगे हजारों पेड़-पौधे मुरझा रहे हैं। शहर के वरिष्ठ सर्जन डा. दिनेश बंसल को इसकी चिंता सताई। लॉकडाउन में अस्पताल में मरीज कम ही आते हैं, इसलिए उन्होंने पेड़-पौधों को बचाने के लिए कमर कसी। एक हरित एंबुलेंस तैयार की। इसमें खाद-पानी रहता है। वह एंबुलेंस में अपनी टीम के साथ निकलते हैं और सड़क किनारे व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर लगे नीम, शीशम, जामुन आदि के पेड़-पौधों को पानी व खाद देते हैं। हर रोज लगभग 250 पेड़-पौधों की देखभाल की जाती है। अस्पताल के कर्मचारी योगेंद्र सिंह व राहुल चिकारा भी उनका सहयोग करते हैं। लॉकडाउन में अब तक वह लगभग आठ हजार पेड़-पौधों को जीवनदान दे चुके हैं। एंबुलेंस में रहता है 10 हजार लीटर पानी
ट्रैक्टर में पानी का टैंकर जोड़कर हरित एंबुलेंस बनाई गई है। इसमें आठ-दस हजार लीटर पानी और खाद-दवाएं रहती हैं। नोजल और पाइप लगाकर पानी छिड़काव का इंतजाम किया गया है। डाक्टर बंसल रोजाना टीम के साथ सुबह से शाम तक पेड़-पौधों को पानी व खाद देने में जुटे रहते हैं। इसके लिए वह कृषि वैज्ञानिक मुख्तकीम अहमद का सहयोग लेते हैं। उनके सहयोग से बीमार पेड़-पौधों का उपचार भी किया जाता है। समय मिलने पर उनके साथी महेंद्र गोयल भी काम में हाथ बंटाते हैं। पाच साल पहले बनाया था हरित प्राण ट्रस्ट
डा. दिनेश बंसल कहते हैं कि जिले में हरियाली लगातार कम हो रही थी। हरियाली बढ़ाने के लिए पाच साल पहले उन्होंने हरित प्राण ट्रस्ट बनाया था। लोगों को समझाया कि हरियाली बढ़ेगी तो वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा भी भरपूर होगी। इसके सुखद परिणाम आ रहे हैं। लोग पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक हो रहे हैं।