नदियों में न करें मूर्ति विसर्जन: राजेंद्र सिंह

प्रदूषण से दम तोड़ती नदियां वर्तमान और भविष्य की सबसे बड़ी समस्या है। यदि नदियां नहीं बचेंगी तो इंसान और पक्षु-पक्षियों का जीवन संकट में पड़ना तय है। इसके बावजूद हम नहीं चेत रहे क्योंकि त्योहार के सीजन में मूर्तियों के विसर्जन से नदियों में प्रदूषण बढ़ता है। मैगसेसे पुरुषकार प्राप्त जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने भी मैली होती नदियों की समस्या पर चिता जताई। उन्होंने जमीन के गड्ढों में मूर्तियों को दबाकर विसर्जन कर नदियों को बचाने की अपील की है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 05 Oct 2019 10:56 PM (IST) Updated:Sun, 06 Oct 2019 06:25 AM (IST)
नदियों में न करें मूर्ति विसर्जन: राजेंद्र सिंह
नदियों में न करें मूर्ति विसर्जन: राजेंद्र सिंह

बागपत जेएनएन। प्रदूषण से दम तोड़ती नदियां वर्तमान और भविष्य की सबसे बड़ी समस्या है। यदि नदियां नहीं बचेंगी तो इंसान और पशु-पक्षियों का जीवन संकट में पड़ना तय है। इसके बावजूद हम नहीं चेत रहे। त्योहार में मूर्तियों के विसर्जन से नदियों में प्रदूषण बढ़ता है। मैगसेसे पुरस्कार प्राप्त जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने मैली होती नदियों की समस्या पर चिंता जताई। उन्होंने जमीन में गड्ढा कर मूर्तियों को दबाकर नदियों को बचाने की अपील की है।

जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने फोन पर दैनिक जागरण के माध्यम से अपील की कि हर धर्म में पानी को सबसे पवित्र माना गया है, लेकिन हम नदियों एवं तालाबों में मूर्तियां विसर्जित कर पानी को ही प्रदूषित कर रहे हैं। शास्त्रों में लिखा है कि जिस चीज से मूर्तियां बनी हैं, उसी में उनका विसर्जन होना चाहिए। मूर्तियां मिट्टी व प्लास्टर आफ पेरिस से बनी होती हैं, लिहाजा जमीन में मूर्तियों को दबाना चाहिए। यमुना एवं हिडन को निर्मल और अविरल बनाने को हर तरह के प्रदूषण के खिलाफ लड़ना होगा। केमिकलयुक्त रंगों से मूर्तियां पेंट की जाती हैं, जिनके विसर्जन से नदियों तथा तालाबों के पानी में ऑक्सीजन स्तर कम होता है। इससे मछली और अन्य जीव-जंतु मरने लगते हैं। हिडन तथा काली नदी इसका नमूना है जिनके प्रदूषित पानी से जलीय जीव खत्म हो गए। इनका पानी खेतों की सिंचाई करने के लिए भी सुरक्षित नहीं है।

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ऐसे होता है नुकसान

सीमेंट और प्लास्टर आफ पेरिस से बनी मूर्तियों को पानी में गलने में काफी वक्त लगता है। प्लास्टिक से बनी मूर्तियां नहीं गलती। मूर्तियों पर किया गया पेंट पारा और लेड से निर्मित होता है जिससे पानी प्रदूषित होता है। मूर्तियों पर चढ़ाई चीजें जैसे प्लास्टिक फूल, कपड़े, धूप, कपूर तथा अन्य तत्व पानी में प्रवाहित करने से प्रदूषण बढ़ता है।

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इन्होंने कहा..

यमुना और हिडन समेत किसी नदी में मूर्तियों का विसर्जन नहीं होने दिया जाएगा। मूर्ति विसर्जन से नदियां प्रदूषित होती हैं। सभी जल संरक्षण में सहयोग करें।

-शकुंतला गौतम, डीएम।

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