इन 'नीर सिकंदरों' को है जान बचाने का जुनून

बागपत : अदावत की इस धरती पर लहू से हाथ रंगने का शगल पुराना है लेकिन इसी मिंट्टी में कुछ ऐसे वीर

By JagranEdited By: Publish:Mon, 02 Jul 2018 11:31 PM (IST) Updated:Mon, 02 Jul 2018 11:31 PM (IST)
इन 'नीर सिकंदरों' को है जान बचाने का जुनून
इन 'नीर सिकंदरों' को है जान बचाने का जुनून

बागपत : अदावत की इस धरती पर लहू से हाथ रंगने का शगल पुराना है लेकिन इसी मिंट्टी में कुछ ऐसे वीर भी जन्मे हैं, जिनके सिर पर जान लेने का नहीं बल्कि जान बचाने का जुनून सवार है। ये तीनों 'नीर सिकंदर' न तो पानी में डूबते व्यक्ति का मजहब जानते और न जाति। इंसानियत की किश्ती और हौसले की पतवार से पिछले 20 साल में सैकड़ों जिंदगी बचा चुके ये लोग फरिश्ता बनकर आते हैं और अपना फर्ज पूरा कर सिर्फ दुआएं लेकर विदा हो जाते हैं। काश! अन्य लोग भी उनकी जिंदगी से सबक लें तो नफरत की जमीन पर मोहब्बत के गुल खिलने में देर नहीं लगेगी। तुम्हारे हौसले को सौ-सौ सलाम..।

ऐसे रखते हैं जान हथेली पर

शहर निवासी 40 वर्षीय इरफान, 42 वर्षीय हुस्न शरीफ और 40 वर्षीय नौशाद ने 16 जून-2013 को केदारनाथ धाम में त्रासदी के दौरान पहुंचकर 32 श्रद्धालुओं की जान बचाई थी। काठा गांव में 14 सितंबर-17 को यमुना में नाव डूब गई थी। तीनों ने 11 लोगों की जान बचाई और 19 शव बाहर निकाल दिए। इनकी डिमांड उत्तराखंड व हरियाणा में भी है। खास यह है कि चौकीदारी करने वाले इरफान को 60 फीसद नेत्र दिव्यांगता है। अन्य दोनों भी मुफिलिसी से जूझ रहे हैं।

हमारे लिए तो फरिश्ते हैं ये

देशराज मोहल्ला निवासी इश्तेकार कहते हैं, 18 साल पहले तीनों गोताखोरों ने उन्हें यमुना में डूबने से बचाया था। पुराना कस्बा निवासी चांद ने बताया कि उक्त तीनों ने उसे दो बार यमुना में डूबने से बचाया। मेहताब कहते हैं, उसे भी तीनों ने डूबने से बचाया था। सुरेन्द्र ¨सह कहते हैं, उनके भतीजे अरुण को भी इन्होंने डूबने से बचाया था। समाजसेवी अमित मानव कहते हैं, अब तक ये सैकड़ों जान बचा चुके हैं।

100 से अधिक लोगों की जान बचा चुके तीनों गोताखोर पुलिस का भी सहयोग करते है। काठा नाव हादसे में इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। गणतंत्र दिवस पर तीनों को सम्मानित किया था।

जयप्रकाश, एसपी बागपत

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