आरक्षण जारी होते ही गांवों में प्रधानी के चुनाव की धूम
आरक्षण की अनंतिम सूची जारी होते ही गांवों में प्रधानी के चुनाव की धूम मची है।
बागपत, जेएनएन। आरक्षण की अनंतिम सूची जारी होते ही गांवों में प्रधानी के चुनाव की धूम मची है। स्थिति साफ होने के बाद भावी उम्मीदवार अब खुलकर ताल ठोकने लगे हैं। कई भावी उम्मीदवार पोस्टर चस्पा कराने लगे हैं। वहीं, 145 गांवों में उन लोगों को करारा झटका लगा है, जो आरक्षण के कारण चुनाव लड़ने की दौड़ से बाहर हो गए हैं।
सर्वाधिक खुशी अनुसूचित जाति के उन लोगों में है, जिनके लिए 30 गांवों के प्रधान पद आरक्षित हुए हैं। सरूरपुरकला गांव को ही लीजिए तो अनुसूचित जाति के लोगो के मन में लड्डू फूटते दिखे। अनुसूचित जाति के कई लोगों को कहते सुना कि जब से देश आजाद हुआ, तब से पहली बार हमारी बिरादरी के व्यक्ति को सरूरपुरकला का प्रधान बनने का मौका मिलेगा। हालांकि इस गांव में जाट जाति के कई लोगों में मायूसी है, क्योंकि चुनाव लड़ने से वंचित होने से उनकी मेहनत और खर्च डूब गया है।
यह महज बानगी है वरना राजपूत बाहुल गांव खट्टा प्रहलादपुर, जाट बाहुल सुन्हैड़ा, गुर्जर बाहुल भगौट, रवा राजपूत बाहुल क्यामपुर तथा गुर्जर बाहुल बली समेत अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सभी 30 गांवों में सरूरपुरकलां गांव जैसा माहौल है।
मगर दिलचस्प बात यह है कि पहली बार मौका मिलने के बाद भी एक-एक गांव में अनुसूचित जाति के कई-कई लोग प्रधान पद पर ताल ठोकने लगे हैं।
68 गांवों के प्रधान पद अपने लिए आरक्षित होने से पिछड़ी जाति के लोग गदगद हैं, लेकिन सामान्य जाति के उन लोगों को झटका लगा है, जो चुनाव लड़ने का सपना पाले थे। यही हाल अनारक्षित वर्ग के उन 47 गांवों का है, जहां प्रधान पद महिला के लिए आरक्षित हुए हैं। इन गांवों में चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे लोगों को अब परिवार की महिलाओं को चुनाव लड़वाना पड़ेगा। पंचायत चुनावों को लेकर लोगों में गजब दिलचस्पी है। एक आपत्ति आई
जिला पंचायत राज अधिकारी कुमार अमरेंद्र ने बताया कि बिलौचपुरा से एक आपत्ति आई, जिसमें प्रधान पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित करने की मांग की गई है। आठ मार्च तक आपत्ति लेकर उनका निस्तारण कर 13 या 14 मार्च तक निस्तारण कर आरक्षण की अंतिम सूची जारी करेंगे।