अब कांहड में देवी मंदिर पर नहीं लगेगा मेला

कांहड़ गांव में पूर्व ग्राम प्रधान नरेंद्र अहलावत के आवास पर दोघट थाना पुलिस ने बैठक कर ग्रामीणों को कोरोना के बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर कांहड़ गांव में लगने वाले तीन दिवसीय मेला को स्थगित करने के डीएम के आदेश की जानकारी दी।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 11:33 PM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 11:33 PM (IST)
अब कांहड में देवी मंदिर पर नहीं लगेगा मेला
अब कांहड में देवी मंदिर पर नहीं लगेगा मेला

बागपत, जागरण टीम। कांहड़ गांव में पूर्व ग्राम प्रधान नरेंद्र अहलावत के आवास पर दोघट थाना पुलिस ने बैठक कर ग्रामीणों को कोरोना के बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर कांहड़ गांव में लगने वाले तीन दिवसीय मेला को स्थगित करने के डीएम के आदेश की जानकारी दी।

इंस्पेक्टर दिनेश कुमार चिकारा ने बताया कि बड़ौत-मुजफ्फरनगर मार्ग पर कांहड़ गांव के निकट देवी मंदिर पर 20 अप्रैल से 22 अप्रैल तक तीन दिवसीय मेले का आयोजन होना था, जिसे स्थगित कर दिया गया है। कांहड़ मंदिर पर अब कोई मेला नहीं लगेगा और न ही पूजा पाठ के लिए श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर में भीड़ लगाने की अनुमति दी जाएगी। इसके अलावा भड़ल गांव में बुधवार को लगने वाली पशु पैंठ, सोमवार को दाहा में लगने वाली साप्ताहिक पैंठ समेत सभी साप्ताहिक बाजार बंद करने की भी जानकारी दी गई। इस मौके पर एसआइ रामबीर सिंह, प्रवेश शर्मा, रमेश सिंह, राजकुमार, बाबूराम, कंवरपाल, जितेंद्र, वेदपाल, वीरसेन, सुरेश, राजबीर आदि मौजूद रहे। मां दुर्गा के स्वरूप शैलपुत्री की आराधना कर मांगीं मनौती

जागरण संवाददाता, बागपत : चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन मंगलवार को मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप माता शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की गई। श्रद्धालुओं ने मंगलवार सुबह पूजा कर दिनभर व्रत रखा और शाम के समय पूजन के बाद व्रत खोले। माता के प्रथम स्वरूप की आराधना कर परिवार में सुख-शांति की कामनाएं की गई।

ज्योतिषाचार्य पंडित राजकुमार शास्त्री ने बताया कि नवरात्र शुरू हो गए। इसी दिन हिदू नववर्ष मनाया गया है। माता ने पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में उत्पन्न होने के कारण मां दुर्गा का नाम शैलपुत्री पड़ा। माता वृषभ पर सवार होती हैं और उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प होता है। माता शैलपुत्री के पूजन से जीवन में स्थिरता और दृढृता आती है। खासतौर पर महिलाओं को मां शैलपुत्री के पूजन से विशेष लाभ होता है। श्रद्धालुओं ने व्रत रखकर सुबह और शाम को माता की आराधना विधि विधान से की। परिवार में सुख, शांति, बच्चों की दीर्घायु की कामनाएं की गई। मंदिरों में भी पूजन करने लिए श्रद्धालु पहुंचे।

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