इरशाद हत्याकांड में सात माह से वांछित था कुख्यात धर्मेद्र किरठल

एसटीएफ नोएडा के हत्थे चढ़ा 50 हजारी कुख्यात धर्मेद्र किरठल सात माह से इरशाद हत्याकांड में फरार चल रहा था।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 09 Jun 2021 12:25 AM (IST) Updated:Wed, 09 Jun 2021 12:25 AM (IST)
इरशाद हत्याकांड में सात माह से  
वांछित था कुख्यात धर्मेद्र किरठल
इरशाद हत्याकांड में सात माह से वांछित था कुख्यात धर्मेद्र किरठल

जेएनएन, बागपत : एसटीएफ नोएडा के हत्थे चढ़ा 50 हजारी कुख्यात धर्मेद्र किरठल सात माह से इरशाद हत्याकांड में फरार चला रहा था। जरायम की दुनिया में कदम रखने के बाद उसने कई राज्यों में अपना नेटवर्क खड़ा कर लिया था, जिसके चलते पुलिस उसे पकड़ नहीं पा रही थी। उसके खिलाफ हत्या, अपहरण, रंगदारी, जानलेवा हमला करने आदि के 50 मुकदमे दर्ज हैं। किरठल की गिरफ्तारी के बाद बागपत पुलिस ने राहत की सांस ली है। पुलिस अब उसके गुर्गो की तलाश में लग गई है।

किरठल गांव निवासी धर्मेंद्र किरठल रमाला थाने का गैंगस्टर भी है। पुलिस के मुताबिक 12 दिसंबर 2020 को धर्मेंद्र किरठल ने अपने साथी सतेंद्र मुखिया निवासी निवासी सुंहैडा, सुभाष उर्फ छोटू निवासी सिसौली समेत चार बदमाशों के साथ मिलकर चुनावी रंजिश में गांव के ही इरशाद की गोली मारकर हत्या कर दी थी। सतेंद्र और सुभाष जेल में हैं, जबकि धर्मेंद्र किरठल फरार चल रहा था। गिरफ्तारी का दबाव बनाने के लिए पुलिस-प्रशासन ने 15 अक्टूबर को उसके तीन मकानों को कुर्क किया था, जबकि चौथे मकान और कृषि भूमि को कुर्क करने की तैयारी चल रही थी। रमाला थाना से धर्मेंद्र किरठल पर 50 हजार रुपये का इनाम भी घोषित था।

राजनीति में आना चाहता था धर्मेद्र

जरायम की दुनिया से गहरा नाता रखने वाला धर्मेद्र किरठल कई साल से राजनीति में कदम रखने की जुगत में था। उसकी पत्नी सुदेश देवी दो योजनाओं में गांव की प्रधान रही हैं, जबकि मां सुरेश देवी जिला पंचायत के वार्ड पांच से सदस्य रह चुकी हैं। धर्मेंद्र और उसके किसी स्वजन को हाल ही में हुए ग्राम पंचायत चुनाव में प्रधानी या फिर जिला पंचायत का चुनाव लड़ना था, लेकिन इरशाद दूसरे पक्ष के साथ था। इरशाद की हत्या के बाद पुलिस प्रशासन के बढ़ते दबाव के कारण स्वजन चुनाव लड़ने से पीछे हट गए थे।

रमाला से धौलपुर तक

आपराधिक सफर

बड़ौत : कुख्यात धर्मेंद्र किरठल ने वर्ष 1992 में अपराध की दुनिया में कदम रखा था। उसके बाद उसने पीछे मुड़कर ही नहीं देखा। पहला मुकदमा रमाला थाने में दर्ज हुआ था। उसके दो साल बाद ही वह रमाला थाने का गैंगस्टर बन गया। वर्ष 2099 में धर्मेंद्र ने मुजफ्फरनगर के भोपा थाना क्षेत्र में हत्या की वारदात की। वर्ष 2005 में हरियाणा के रोहतक थाना क्षेत्र में हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ। इसी साल रमाला थाने में धर्मेंद्र के खिलाफ फिर एक के बाद एक दो हत्याओं का मुकदमा दर्ज हुआ था। उसके बाद बागपत कोतवाली में हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ। वर्ष 2007 में धर्मेंद्र पर मेडिकल थाना, मेरठ में हत्या का आरोप लगा था और उसके बाद वर्ष 2012 में नजफगढ़ थाना दिल्ली, में मर्डर का मुकदमा दर्ज हुआ था। धर्मेंद्र के खिलाफ रमाला, बागपत, शामली, भोप्पा, बीबीनगर बुलंदशहर, छपरौली, थाना भवन, मेडिकल मेरठ, कोतवाली रोहतक, निहावगंज धौलपुर, राजस्थान, बुढ़ाना, नजफगढ़, सरधना, सिविल लाइन मुजफ्फरनगर थानों में मुकदमे दर्ज हैं।

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