खिलेंगे फूल, घुलेगी मिठास, महकेगी बगिया

लेमनग्रास की खेती महिलाओं की राह आसान करेगी। राष्ट्रीय आजीविका मिशन के निदेशक के निर्देश पर फाउंडेशन फोर डवलपमेंट वैल्यू चैन टीम के विशेषज्ञ अजय रावत व अंशुमन काकोटी ने सांसद डा. सत्यपाल सिंह के पैतृक गांव बसौली में लेमनग्रास खेती में महिलाओं के स्वरोजगार और फसल चक्र में बदलाव की संभावना टटोली। किसान धर्मेंद्र तोमर ने बताया कि बासौली बरवाला व सूप के 22 किसान करेंगे।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 11 Dec 2019 12:29 AM (IST) Updated:Wed, 11 Dec 2019 06:07 AM (IST)
खिलेंगे फूल, घुलेगी मिठास, महकेगी बगिया
खिलेंगे फूल, घुलेगी मिठास, महकेगी बगिया

बागपत, जेएनएन। लेमनग्रास की खेती महिलाओं की राह आसान करेगी। राष्ट्रीय आजीविका मिशन के निदेशक के निर्देश पर फाउंडेशन फोर डवलपमेंट वैल्यू चैन टीम के विशेषज्ञ अजय रावत व अंशुमन काकोटी ने सांसद डा. सत्यपाल सिंह के पैतृक गांव बसौली में लेमनग्रास खेती में महिलाओं के स्वरोजगार और फसल चक्र में बदलाव की संभावना टटोली। किसान धर्मेंद्र तोमर ने बताया कि बासौली, बरवाला व सूप के 22 किसान 85 एकड़ भूमि पर लेमनग्रास खेती करते हैं। लेमनग्रास की साल में चार बार कटाई होती है। प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष लेमनग्रास खेती से सात लाख रुपये कमाई होती है। एक फसल कटाई से प्रति हेक्टयर 125 लीटर तेल निकलता है। तेल का बाजार भाव औसतन 1500 रुपये प्रति लीटर है। लेमनग्रास जीरो बजट खेती है। रासायनिक उर्वरक इस्तेमाल नहीं होते। कम सिचाई से बंजर जमीन में लेमनग्रास की खेती कर सकते हैं। बुआई के बाद पांच साल फसल मिलेगी। इसका तेल सौंदर्य प्रसाधन, डिटर्जेंट, इत्र तथा दवाइयां बनाने में काम आता है। खिलेंगे खुशहाली के फूल

राष्ट्रीय आजीविका मिशन की टीम के अजय रावत व अंशुमान काकोटी ने बरनावा गांव में फूलों की खेती देखी ताकि संस्य सहायता समूहों की महिलाओं को फूलों की खेती कराकर स्वावलंबी बनाई जा सके। किरठल गांव में शहद उत्पादन देखा। आजीविका मिशन जिला प्रबंधक सुनील कुमार व शाह फैसल अंसारी ने बताया कि मधुमक्खियां फूलों से भोजन लेकर शहद तैयार करतीं हैं। राष्ट्रीय आजीविका मिशन का प्लान है कि स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को फूलों की खेती कराकर

मधुमक्खी पालन भी कराया जाए ताकि दोहरी आमदनी मिले। इसी संभावना को तलाशने लखनऊ की उक्त टीम आई है।

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