प्राण वायु की कमी हुई, तो याद आया पीपल

कोरोना काल में पीपल के पेड़ की अहमियत का पता चला है। माना जा रहा है कि सबसे ज्यादा पीपल का पेड़ आक्सीजन देता है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 12 Jun 2021 12:15 AM (IST) Updated:Sat, 12 Jun 2021 12:15 AM (IST)
प्राण वायु की कमी हुई, तो याद आया पीपल
प्राण वायु की कमी हुई, तो याद आया पीपल

जेएनएन, बागपत: कोरोना काल में पीपल के पेड़ की अहमियत का पता चला है। माना जा रहा है कि सबसे ज्यादा पीपल का पेड़ आक्सीजन देता है और कार्बन-डाइ-आक्ससाइड को अवशोषित करता है। यह वजह है कि खुले मैदान में और आबादी के बीच पीपल के पेड़ पर्यावरण प्रेमी लगा रहे हैं। इसके अलावा उन पौधे को भी गमलों में लगाए गए, जो सबसे ज्यादा सजावटी है और आक्सीजन देते है।

लोगों को आक्सीजन की कमी कोरोना काल में महसूस हुई। बीमार लोगों के लिए स्वजन दर-दर की ठोकरे के खा रहे थे। खाली सिलेंडर तो पास थे, लेकिन उनमें आक्सीजन गैस भरवाने के लिए सिफारिश लगवानी पड़ी। कमी के चलते लोगों की तड़प-तड़प मौत हो गई। जिले में आक्सीजन का आकाल पड़ा तो लोगों को इसकी अहमियत का पता चला। उन स्त्रोतों पर नजर डाली शुरू कर दी, जिससे शुद्ध हवा शरीर को मिलती है। पीपल के पेड़ की जरूरत को महसूस किया। पर्यावरण संरक्षकों ने माना है कि सबसे ज्यादा पीपल का पेड़ आक्सीजन देता है। यह ही वजह है कि लोग अब खाली मैदान और आबादी के बीच में खाली पड़े स्थानों पर पीपल के ही पेड़ सबसे ज्यादा लगा रहे हैं। पर्यावरण संरक्षक आरआरडी उपाध्याय ने बताया कि वैसे हर पेड़ और पौधे आक्सीजन देता है, लेकिन पीपल का पेड़ सबसे ज्यादा आक्सीजन देता है। अभी तक सौ से अधिक पीपड़ के पौधे वह लगा चुके हैं। घरों के आस-पास यह पेड़ होगा, तो वहां आक्सीजन की कमी नहीं रही रहेगी।

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कैंसर कारक तत्वों को कर लेते हे अवशोषित

--जनता वैदिक डिग्री कालेज के एसोसिएट प्रोफेसर वनस्पति विज्ञान डा. मनोज शर्मा ने बताया कि अब इंडोर प्लांट का चलन बढ़ा है। आजकल स्नेक प्लांट, मनी प्लांट, एरिका पाम, अगगेव, स्पाइडर प्लांट, क्रोटोन लगाए जा रहे हैं। इंडोर प्लांट न सिर्फ कार्बनडाआक्साइड अवशोषित करते है, बल्कि ये वायु मंडल के प्रदूषकों जैसे ब्रेंजीन, फार्मेल्डिहाइड, ट्राइक्लोरोएथिलीन, ट्रिक्लोरो, लाइलीन, टोलुइन कैंसर कारक तत्वों को भी अवशोषित करते है।

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