17 घंटे की बारिश से शहर से लेकर गांव हुए जलमग्न

चक्रवात टाक्टे का असर जिले में भी पड़ा है। मंगलवार की रात करीब ढाई बजे शुरू हुई बारिश बुधवार की शाम तक होती रही। इससे चहुंओर जलभराव हो गया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 19 May 2021 07:29 PM (IST) Updated:Wed, 19 May 2021 07:29 PM (IST)
17 घंटे की बारिश से शहर से लेकर गांव हुए जलमग्न
17 घंटे की बारिश से शहर से लेकर गांव हुए जलमग्न

जेएनएन, बागपत: चक्रवात टाक्टे का असर जिले में भी पड़ा है। मंगलवार की रात करीब ढाई बजे शुरू हुई बारिश बुधवार की रात तक होती रही। कभी बूंदाबांदी तो कभी झमाझम बारिश लगातार जारी रही। गांव से लेकर शहर तक जलमग्न हो गए। इससे जगह-जगह जलभराव की समस्या पैदा हो गई। फसलों की सिचाई हुई, तो क्रय केंद्रों से गन्ने का उठान नहीं हो पाया।

मुंबई के बाद गुजरात में टाक्टे चक्रवात ने तबाही मचाई है, जिससे जनहानि भी हुई है। इस चक्रवात का असर बागपत जिले में भी पड़ा है। मौसम विभाग ने पहले ही अलर्ट जारी कर दिया था, जिसका असर मंगलवार को देखने को मिल गया। देर रात से बुधवार को दिनभर रुक-रुककर बारिश हुई। इससे चहुंओर जलभराव की समस्या उत्पन्न हो गई। गांव से लेकर शहरों की गली-मोहल्लों में जगह-जगह जलभराव होने से लोगों को परेशानी हुई। सबसे ज्यादा दिक्कत कच्चे घर में रह रहे लोगों को हुई। कच्चे घरों से लेकर छतों तक टपकनी शुरू हो गई। छत टपकने से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। किसानों के भी चेहरे खिल गए। फसलों की सिचाई हो गई। खेत पानी से लबालब भर गए। गन्ने से लेकर धन की नर्सरी के लिए यह बारिश बहुत फायदा पहुंचाएगी। जिला कृषि अधिकारी डा. सूर्यप्रताप सिंह ने बताया कि बारिश से किसी भी फसल को नुकसान नहीं, बल्कि फायदा पहुंचेगा। थोड़ा असर खरबूजा और तरबूज की फसल पर यह पड़ेगा कि उनकी मिठास थोड़ी कम हो जाएगी।

संवाद सहयोगी, खेकड़ा :

बुधवार को अलसुबह अचानक मौसम बदलने के बाद तेज हवा के साथ बारिश शुरू हुई। घंटों हुई कभी तेज कभी धीमी बारिश से पारा गिरा। इससे लोगों को गर्मी से काफी राहत मिली लेकिन पानी से मार्गों पर जगह जगह जलभराव और कीचड़ होने से राहगीरों को परेशानी उठानी पड़ी। पाठशाला मार्ग पर कई जगह पानी भरा रहा। शाम तक हुई छिटपुट बारिश से लोग रोजमर्रा के कामकाज को भी घरों से बाहर नहीं निकल सके। बाजार में बारिश के कारण भीड़ कम रही। इक्का दुक्का लोग की खरीदारी को दुकानों पर गए। दिन भर लोग घरों में ही कैद रहे।

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