जीत-हार के गणित में उलझी गांवों की सरकार
सोमवार को मतदान संपन्न होने के बाद गांवों में हर जुबां पर यही सवाल कि कौन जीत रहा चुनाव? इसका जवाब पाने को हर कोई वोटों के गुणा-भाग में उलझा है। कोई कापी-कलम तो कोई अंगुली पर वोटों का हिसाब-किताब जोड़कर उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला सुना रहा है।
जेएनएन, बागपत। सोमवार को मतदान संपन्न होने के बाद गांवों में हर जुबां पर यही सवाल कि कौन जीत रहा चुनाव? इसका जवाब पाने को हर कोई वोटों के गुणा-भाग में उलझा है। कोई कापी-कलम तो कोई अंगुली पर वोटों का हिसाब-किताब जोड़कर उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला सुना रहा है।
यूं तो मतदान प्रधान, क्षेत्र पंचायत, ग्राम पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य पदों पर हुआ, लेकिन प्रधान और जिला पंचायत सदस्य पदों पर जीत-हार को लेकर ज्यादा आकलन हो रहा है। 244 प्रधान पदों पर 1778 उम्मीदवार तथा उनके समर्थक बूथवार और मोहल्लावार वोटों का हिसाब लगाकर जीत-हार तय
कर रहे हैं। आलम ऐसा है कि ग्रामीण अपने आंकलन में एक-एक गांव में कई-कई उम्मीदवारों की जीत पक्की कर शर्त तक लगाते दिखे। लोग अपने अपने आंकडे़ फिट करने में जुटे हैं।
जिला पंचायत के उम्मीदवारों और उनके समर्थकों का हाल भी कुछ ऐसा है, क्योंकि मतदान संपन्न होने के तुरंत बाद से बूथवार मतदान का डाटा लेकर जिताने-हराने का खेल खेल रहे हैं। क्षेत्र पंचायत सदस्यों के 2020 उम्मीदवार और ग्राम पंचायत सदस्यों के 1268 उम्मीदवारों की फौज भी हार जीत का अनुमान लगाने में जुटी है।
दिलचस्प यह है कि लोगों के आंकलन में एक चौपाल पर जो उम्मीदवार जीत रहा है तो दूसरी चौपाल पर वह हार जाता है। आंकलन करने वालों में हर कोई अपना तर्क रखता है लेकिन जब बहस ज्यादा बढ़ती है तो फिर ग्रामीणों की महफिल यह कहने के बाद खत्म होती है कि दो मई को जब परिणाम आएगा तब बात करना कि हमारा आंकलन सही है या गलत।