यमुना का जलस्तर छह फीट बढ़ने से किसान चितित

यमुना नदी में हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया पानी रात के अंधेरे में बागपत में पानी दाखिल होने के बाद खादर में पानी भर गया। कई फसलें पानी में डूब गईं। किसानों ने फसल नष्ट होने की आशंका जताई है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 07:18 PM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 07:18 PM (IST)
यमुना का जलस्तर छह फीट बढ़ने से किसान चितित
यमुना का जलस्तर छह फीट बढ़ने से किसान चितित

बागपत, जेएनएन: यमुना नदी में हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया पानी रात के अंधेरे में बागपत में दाखिल हुआ। सुभानपुर खादर में पानी छह फीट तक बढ़ गया है। खादर में खड़ी विभिन्न फसलें पानी में डूब गई हैं। किसानों ने आसपास के गांव में खादर में नहीं जाने का एलान कराया है।

पहाड़ों पर लगातार हो रही बारिश के कारण ताजेवाला व हथिनीकुंड बैराज में अथाह पानी एकत्रित हो गया है। बुधवार को सुबह बैराज से छोड़ा गया पानी गुरुवार की रात में जिले में दाखिल हुआ। सुभानपुर के किसानों का कहना है कि गुरुवार शाम तक यमुना का जलस्तर पिछले दिन के मुकाबले काफी कम था, लेकिन रात में पानी का स्तर बढ़ने लगा था। अब जहां खादर में पानी भर चुका है, वहीं सुभानपुर गांव के आनंदा फार्म में भी पानी भरने लगा है। गुरुवार को दोपहर के मुकाबले शुक्रवार सुबह करीब छह फीट तक पानी का स्तर ऊपर उठा है। इससे खादर में खड़ी ज्वार, गन्ना और अन्य सभी फसलें डूबने लगी हैं। किसी हादसे के डर से यमुना किनारे स्थित गांव में एलान कराकर ग्रामीणों से खादर में पानी बढ़ने के कारण नहीं जाने की अपील की है। इसके साथ ही जगह जगह पुश्ते पर लोग भी किसी को तरह आगे जाने से रोकने के लिए बैठे है। ग्रामीणों का कहना है कि हर साल यमुना में नहाने का प्रयास करते समय कई लोग अपनी जान गवां देते हैं। इस बार पानी की तरफ किसी को नहीं जाने दिया जाएगा।

बारिश के बाद हवा चलने

से फसलें धराशाई

संवाद सूत्र, दाहा : क्षेत्र में हो रही बारिश के बाद चली तेज हवा के कारण खेतों में खड़ी फसलें धराशाई हो गईं। इससे किसानों को पशुओं के लिए चारे का संकट पैदा होने की चिंता सता रही है।

चौगामा क्षेत्र में कई दिनों से रुक-रुककर हो रही बारिश से जहां किसानों के चेहरों पर खुशी छाई थी। वहीं बारिश के बाद चली हवा के झोंके से किसानों के खेतों में खड़ी ज्वार, बाजरा, गन्ना, अरहर आदि की फसलें गिर गई हैं। किसानों का कहना है कि ज्वार, बाजरा की फसल गिरने से कुछ पौधे सड़कर सूख जाते हैं। किसान को चारे के रूप में नुकसान के साथ-साथ गन्ना फसल की भी पैदावार में गिरावट आएगी।

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