छपरौली से 1937 में बने थे चरण सिंह विधायक
किसानों के मसीहा कहे जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह छपरौली विधानसभा से जीते थे।
बागपत, जेएनएन। किसानों के मसीहा कहे जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह छपरौली विधानसभा से वर्ष 1937 में पहली बार विधायक बने थे। उसके बाद वर्ष 1977 तक इस सीट से विधायक बने। राजनीति के क्षेत्र में बागपत की पहचान चौधरी चरण सिंह की छपरौली से होने लगी। उसके बाद उनके बेटे अजित सिंह वर्ष 1989 में पहली बार सांसद बने और बागपत लोकसभा में सात बार विजय हासिल की। चौधरी चरण सिंह की बेटी सरोज भी एक बार छपरौली से विधायक बनी। यही कारण है कि छपरौली को रालोद का गढ़ कहा जाता है। छह मई 2021 को अजित सिंह का निधन हो जाने के बाद अब रालोद की जिम्मेदारी उनके बेटे जयंत चौधरी के कंधों पर आ टिकी है।
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बेताब हो रहे थे समर्थक
कोरोना काल में अजित सिंह का निधन हो जाने के बाद रालोद कार्यकर्ता उन्हें श्रद्धांजलि देने नहीं आ सके थे। रालोद के अध्यक्ष बने जयंत चौधरी को आशीर्वाद भी नहीं दे सके थे। इसी को लेकर रालोद कार्यकर्ता बेताब हो रहे थे। यही वजह है कि रालोद के गढ़ में अजित सिंह की श्रद्धांजलि सभा रखी गई।
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चौधरियों का भी मिला साथ
कार्यक्रम में देशखाप के चौधरी सुरेंद्र सिंह, बालियान खाप के चौधरी नरेश टिकैत, गठवाला खाप के चौधरी राजेंद्र, समालखा खाप के चौधरी अनिल बेनीवाल, दहिया खाप के चौधरी कृष्णपाल, नांदल, रोहतक की सर्वखाप के चौधरी महेंद्र सिंह, रोहतक की डिगल खाप के चौधरी धर्मपाल हुड्डा, उज्जवल खाप के चौधरी ब्रहम सिंह, गुलिया खाप के चौधरी कुमार गौरव, बुढियान खाप के चौधरी नरेंद्र सिंह, गुर्जर खाप के चौधरी अरविद चपराना आदि के अलावा हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के खाप चौधरियों के अलावा दूसरी बिरादरियों की खाप के चौधरियों का जयंत चौधरी को साथ मिला है।