नासूर बनी जलनिकासी, जितना करते इलाज उतना ही बढ़ रहा मर्ज

बागपत जेएनएन। शहर में ड्रेनेज सिस्टम को सुधारने के दिशा में सालों से प्रयास किए जा रहे है

By JagranEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 11:56 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 11:56 PM (IST)
नासूर बनी जलनिकासी, जितना करते इलाज उतना ही बढ़ रहा मर्ज
नासूर बनी जलनिकासी, जितना करते इलाज उतना ही बढ़ रहा मर्ज

बागपत, जेएनएन। शहर में ड्रेनेज सिस्टम को सुधारने के दिशा में सालों से प्रयास किए जा रहे हैं, मगर हर बार बारिश के बाद शहर में जलभराव पिछले रिकार्ड को ध्वस्त कर देता है। नगर पालिका परिषद के पास तेज-तर्रार अधिकारी और सफाई कर्मचारियों की फौज होने के बावजूद शहर का यह ऐसा नासूर है, जिसका जितना उपचार किया, उतना ही मर्ज बढ़ता गया।

आखिर भारी भरकम बजट और तमाम संसाधन मुहैया होने के बावजूद वह कौन सी वजहें हैं, जिनके आगे सारे हथियार फैल हो जाते हैं? कारण व्यापक हैं, मगर उनकी जड़ एक ही है, वह हैं? समस्यों की लंबे समय तक अनदेखी। अधिकारियों का ढुलमुल रवैया कहें या राजनीति हस्तक्षेप के उनका आत्मसमर्पण, जिसके कारण पुरानी समस्याएं तो जस की तस हैं? ही बल्कि उनकी आड़ में नई-नई अड़चनें पैर पसार रही हैं।

----

आइए जानते हैं कुछ मुख्य वजहों को

शहर की मुख्य समस्या नालों पर अतिक्रमण की है। अतिक्रमण भी ऐसा कि पूरा का पूरा बाजार ही उन पर बसा दिया गया है। अब जब बारिश के पानी को निकासी के लिए का रास्ता ढूंढना पड़े तो जलभराव होना स्वाभाविक है। इसके बाद दूसरी समस्या नालों में बहाए जा रहे सालिड वेस्ट और पालिथिन की है। शहर में डोर-टू-डोर मोबाइल कूड़ा गाड़ी जाने का प्रबंध लोग अधिकतर सालिड वेस्ट नालों के हवाले करना ही बेहतर समझते हैं। पानी और चाय के डिस्पोजल ग्लासों और थर्मोकाल की प्लेटों को नालों में डाला जाना तो शहरवासियों की मानसिकता में शामिल हो चुका है। इनमें शहर के अंदर खोली गई पशुओं की डेयरी और छोटी-छोटी फैक्ट्रियां अपना पूरा योगदान करती है। तीसरा मुख्य कारण शहर के अंदर खोले गए दर्जनों रेस्टोरेंट हैं, जहां से बड़ी मात्रा में खाने के सालिड अपशिष्टों नालों में बहाए जाने का रिवाज है।

-----------

सुबह नाला सफाई, दोपहर की बारिश ने सिल्ट वापस पहुंचाई

शहर में 80 लाख के भारी भरकम बजट के साथ पिछले दो महीने से नालों की सफाई चल रही है, मगर सफाई के नाम पर नालों में पड़ी पालीथिन, डिस्पोजल ग्लास और थोड़ी बहुत सिल्ट बाहर निकाली जा रही है। बुधवार सुबह अतिथि भवन के पास नाले से बाहरी निकाली गई सिल्ट को सूखने के लिए छोड़ दिया गया मगर दोपहर में आई बारिश ने आधी सिल्ट को वापस नाले में ही पहुंचा दिया। सफाई के नाम पर खानापूर्ति भी जलनिकासी की राह में बड़ा रोडा है।

chat bot
आपका साथी