बासमती से महकेगी जिले की माटी
किसानों ने धान की खेती का पैटर्न बदल दिया है। अब किसान सामान्य के बजाय बासमती धान की रोपाई कर रहे हैं।
बागपत, जेएनएन: किसानों ने धान की खेती का पैटर्न बदल दिया है। अब किसान सामान्य के बजाय बासमती धान की रोपाई करने में जुटे हैं। कुछ किसान तो धान की रोपाई कर चुके हैं। सरकार ने भी आधी कीमत पर बढि़या धान का बीज देकर और उर्वरकों की कालाबाजारी रोककर किसानों की राह आसान बनाई है।
बागपत में खरीफ सीजन में 6700 हेक्टेयर पर धान की खेती होगी। खुले बाजार में अच्छा दाम मिलने से किसानों ने बासमती धान एरिया बढ़ाया है। पहले जहां
400 हजार हेक्टेयर पर बासमती धान की खेती होती थी, वहीं अबकी बार 6500 हेक्टेयर पर होगी। मोटे यानी सामान्य धान फसल की एरिया में आई कमी से साफ हो गया कि किसानों की सोच बदल रही है। 90 फीसदी किसानों ने पूसा बासमती-1509, पूसा बासमती-1718 तथा पूसा बासमती-1121 जैसी प्रजातियों के बीजों की बुआई कर पौध तैयार की है।
अधिकांश किसानों को अब धान की रोपाई करने को झमाझम बारिश होने का इंतजार है। हालांकि कुछ किसानों ने नलकूपों का पानी खेतों में भरकर धान की रोपाई कर दी है। सरूरपुरकलां के सुभाष नैन, निवाड़ा के गुलजार तथा सिसाना के सुनील कुमार ने कहा कि बासमती चावल विदेशों को निर्यात होता है जिससे बाजार में दाम अच्छा मिलने से अधिकांश किसान बासमती धान पैदा करने लगे। धान की रोपाई कराने को मजदूरों की कमी नहीं है।
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भरपूर हैं उर्वरक
-फिलहाल बागपत में 3618 मीट्रिक टन यूरिया, 1334 मीट्रिक टन डीएपी, 635 मीट्रिक टन एनपीके, 582 मीट्रिक टन एमओपी, 1385 मीट्रिक टन एसएसपी उर्वरक उपलब्ध हैं। यानी उर्वरक भरपूर मात्रा में उपलब्ध हैं।
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अधिकांश किसान बासमती धान की नर्सरी तैयार कर चुके। अब जैसे ही बारिश होगी वैसे ही धान रोपाई में तेजी आएगी। बहुत से किसान तो अगेती फसल लेने के लिए धान की रोपाई पंद्रह-बीस दिन पहले ही कर चुके हैं। उर्वरकों की कहीं कोई कमी नहीं है।
-डा. सूर्य प्रताप सिंह, जिला कृषि अधिकारी।