बारिश को तरसा बागपत, दस साल में छह बार पड़ा सूखा
भीषण गर्मी में जिले की धरती खूब तप रही है। फसलें सूखने के कगार पर पहुंच गई हैं। लंबे अरसे से बागपत वासी बारिश होने की राह देख रहे हैं लेकिन इंद्रदेव अब तक तरसा रहे हैं।
जागरण न्यूज नेटवर्क बागपत: भीषण गर्मी में जिले की धरती खूब तप रही है। फसलें सूखने के कगार पर हैं, जिससे किसान चिंतित हैं। बारिश के इंतजार में जून माह के बाद जुलाई के भी तीन दिन गुजर गए, लेकिन बारिश नहीं हुई। अभी तक सामान्य 70.10 के बजाय महज 09 मिमी बारिश ही जिले में रिकार्ड की गई है। हालांकि जिले में मौसम का सितम कोई नई बात नहीं है, पहले भी ऐसा होता रहा है, क्योंकि दस साल में बागपत छह बार सामान्य से कम बारिश की मार झेल चुका है। अभी तक इस वर्ष फिर से मौसम की बेरुखी है।
बागपत में सामान्य बारिश 698 मिमी है, लेकिन साल 2010 से 2019 तक छह बार सामान्य से कम यानी 378 से 657 मिमी तक बारिश होना दर्ज है। कृषि विभाग के रिकार्ड के अनुसार सर्वाधिक बारिश साल 2010 में 1164 मिमी और सबसे कम साल 2012 में 378.84 मिमी बारिश हुई है। अब चालू साल में मई में सामान्य 13.30 मिमी के सापेक्ष 12 मिमी और जून में 70.10 के सापेक्ष 09 मिमी बारिश ने कृषि विभाग तथा किसानों को चिता में डाल दिया है। कम बारिश का असर सीधे तौर पर जिले के सवा लाख किसानों की 1.10 लाख हेक्टेयर पर खड़ी गन्ना, चारा, हरी सब्जियों तथा बागों पर पड़ रहा है। भाकियू जिलाध्यक्ष प्रताप गुर्जर तथा किसान सरूपुरकलां के सुभाष नैन की मानें तो बारिश नहीं होने से खेती लागत तीन गुना ज्यादा बढ़ जाती है। कम भूजल स्तर गिर रहा है।
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इन सालों सामान्य से कम वर्षा
साल वर्षा मिमी में
2011 657.51
2012 378.88
2014 543.58
2015 431.42
2016 423.08
2019 611.73