मरीजों की जान आफत में, अस्पतालों में ओपीडी बंद
कोरोना महामारी एक-एक कर लोगों की जान ले रही है।
बागपत, जेएनएन। कोरोना महामारी एक-एक कर लोगों की जान ले रही है। हजारों लोग अपने घरों के अंदर ही जिदगी-मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं। शहर से लेकर गांवों तक जान बचाने की जद्दोजहद चल रही है। ऐसे संकट के समय सरकार ने एक माह से सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवा बंद रखी है। बुखार, नजला, खांसी के अलावा दूसरी बीमारियों के मरीजों को उपचार नहीं मिल रहा है।
स्वास्थ्य विभाग हालिया सर्वे के अनुसार ही मरीजों का घर पर ही उपचार कर रहा है। ऐसे में वे मरीज कहां उपचार कराएं, जो सरकारी सर्वे से बाहर रह गए हैं। मरीज सरकार से ओपीडी सेवाओं को बहाल करने की मांग उठा रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर सरसरी नजर दौड़ाएं, तो बड़ौत, बिनौली, छपरौली, पिलाना, खेकड़ा, बागपत के अलावा सरूरपुर और टीकरी कस्बे में सीएचसी स्थित है, जबकि किरठल, रमाला, किशनपुर बराल, कंडेरा आदि गांवों में 23 पीएचसी स्थित हैं। 200 उपकेंद्र भी बने हुए हैं और 90 प्राइवेट अस्पताल हैं, जिस पर 15 अप्रैल से सरकार ने ओपीडी सेवा को बंद कर रखा है। हालांकि इनमें इमरजेंसी को बंद नहीं किया गया है। ऐसे में जब अस्पतालों में ओपीडी बंद हैं और कोरोना महामारी अपने विकराल रूप में है, तो बुखार, खांसी और नजला के अलावा दूसरी छोटी-मोटी बीमारी के मरीज कहां उपचार कराएं? और खासकर वे, जो सर्वे के दायरे में नहीं आ सके हैं। मरीजों के सवाल का किसी के पास जवाब नहीं हैं। हालांकि शहर, कस्बे और गांवों में कितने ही प्राइवेट डाक्टरों की दुकान खुली हुई हैं, लेकिन वहां मरीज अपना उपचार कराकर संतुष्ट नहीं हैं, क्योंकि वहां सभी बीमारियों का उपचार डाक्टर दूर से ही एक नजर में कर दवाइयां दे रहे हैं, क्योंकि डाक्टरों को भी डर बना हुआ है कि कहीं मरीज कोरोना पाजिटिव तो नहीं हैं। डीएम राजकमल यादव ने बताया कि किसी भी बीमारी के मरीजों को घबराने की जरूरत नहीं है। यदि किसी को कोई तकलीफ होती है, तो वह स्वास्थ्य विभाग की टीम से संपर्क कर सकता है और उपचार की सुविधा उसके घर पर ही मिलेगी। बुखार, खांसी और नजला आदि वाले मरीजों को यदि लग रहा है कि उनमें कोरोना के लक्षण हैं, तो उन्हें जांच से पहले ही दवाइयां लेने और घर में ही आइसोलेट होने की सलाह दी जा रही है। बस उन्हें स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों से संपर्क करना है।