उर्वर हो रही कालाबाजारी की फसल

बेशक अभी उर्वरकों का संकट नहीं है लेकिन बागपत में इनकी कालाबाजारी कम नहीं हो रही है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 11:06 PM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 11:06 PM (IST)
उर्वर हो रही कालाबाजारी की फसल
उर्वर हो रही कालाबाजारी की फसल

बागपत, जेएनएन। बेशक अभी उर्वरकों का संकट नहीं है, लेकिन बागपत में इनकी कालाबाजारी कम नहीं। इसलिए सिस्टम की असली परीक्षा 15 नवंबर बाद होगी, क्योंकि गेहूं की अधिकांश बुआई गन्ना कटाई के बाद होती है।

एक अक्टूबर से रबी सीजन शुरू हो गया है, लेकिन फिलहाल बागपत में उर्वरक संकट नहीं जिले में 244 बिक्री केंद्रों पर 6885 टन यूरिया, डीएपी, एनपीके, एमओपी तथा एसएसपी उर्वरक उपलब्ध है। इस सीजन के 22 दिन में 2400 टन उर्वरक बिक चुका है।

फिलहाल उर्वरकों की डिमांड कम है, क्योंकि बारिश के कारण सब्जियों की फसलों की बुआई में विलंब हुआ है। वहीं बागपत में 80 फीसदी गेहूं फसल गन्ना कटाई के बाद खेत खाली होने पर होती है। अभी न चीनी मिले चली और न गन्ना कटाई शुरू हुई है।

पंद्रह नवंबर के बाद गन्ना कटाई से खेत खाली होंगे तब गेहूं की बुआई रफ्तार पकड़ेगी और डीएपी उर्वरक को लेकर मारामारी रहेगी। यानी नवंबर और दिसंबर में डीएपी और जनवरी-फरवरी में यूरिया उर्वरक की

उपलब्धता बनाए रखना कृषि विभाग के लिए बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि यह बात किसी से छुपी नहीं है कि

बागपत में उर्वरकों की कालाबाजारी होती रहती है।

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पंजाब और हरियाणा को बिका बागपत का उर्वरक

अगस्त में बागपत में पंजाब के सराय नगा, मुक्तसर, हरियाणा के पानीपत के मलपुर तथा मनाना, दिल्ली के शास्त्री पार्क व दिल्ली के एंड्रयूगंज के पतों पर बने पांच लोगों के आधार कार्डों पर यूरिया के 201 बोरे बेचने का मामला प्रकाश में आया था। पिछले साल बड़ौत के एक भूमिहीन तांगे वाले को 250 बोरे यूरिया बेचने का मामला प्रकाश में आया था।

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फिलहाल उर्वरक उपलब्धता

-2957.65 मीट्रिक टन यूरिया

-1720.37 मीट्रिक टन डीएपी

-1477.19 मीट्रिक टन एनपीके

-093.22 मीट्रिक टन एमओपी

-637 मीटिक टन एसएसपी है -उर्वरकों की कोई कमी नहीं है। सहकारी बिक्री केंद्र पर आसानी से उर्वरक उपलब्ध हैं।

-किसान मनोज-बिनौली,

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-बेशक अभी उर्वरकों की कोई कमी नहीं है लेकिन इसका पता तब नवंबर और दिसंबर में चलेगा जब गेहूं

बुआई होगी।

-किसान रामबीर सिंह, आरिफपुर खेड़ी

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-जिले में उर्वरकों की कोई कमी नहीं है। हमने पर्याप्त व्यवस्था कर रखी है। बागपत में नवंबर व दिसंबर

में गेहूं बुआई चरम पर रहेगी तब डीएपी की जरुरत पड़ेगी। एक किसान को एक बार में चार बैग से ज्यादा

उर्वरक नहीं दिया जाता है।

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