इन बहनों से कांप रही गरीबी

बागपत जेएनएन। वाकई गरीबी अभिशाप है लेकिन इसे हराना कतई भी असंभव नहीं। हम बार ठान लें

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 08:24 PM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 08:24 PM (IST)
इन बहनों से कांप रही गरीबी
इन बहनों से कांप रही गरीबी

बागपत, जेएनएन। वाकई गरीबी अभिशाप है, लेकिन इसे हराना कतई भी असंभव नहीं। हम बार ठान लें तो गरीबी की क्या बिसात वो न हारे। कुछ ऐसा साबित कर रही बागपत की नारी शक्ति। 21 हजार बहनें स्वरोजगार के बूते गरीबी को मात देने के साथ मोदीजी का आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार करने

में जुटीं हैं। आइए देखते हैं आज यानी 17 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस गरीबी उन्मूलन की कुछ बानगी..।

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लिख रहीं नया अफसाना

रमाला की अफसाना। पांच सदस्यों के परिवार का खर्च चलाना कठिन हो रहा था, लेकिन साल 2018 में

स्वयं सहायता समूह से जुड़ गई। सिड ग्रामीण प्रशिक्षण संस्थान बागपत से प्रशिक्षण लेकर 40 हजार रुपये का कर्ज लेकर तथा कुछ पैसा अपने पास से लगाकर गांव में ब्यूटी पार्लर एवं कास्मेटिक की दुकान की। हर माह आठ हजार रुपये माह कमाई कर बच्चों को पढ़ाने के साथ परिवार का बड़ा सहारा बन गई। बोली कि एक बार मन से ठान लो फिर कोई काम असंभव नहीं।

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सुमन ने बनाई नई राह

तिलवाड़ा गांव की सुमन ने भी गरीबी को मात देने की मिसाल पेश की है। सुमन की दास्तान यह है कि

गरीबी में पांच सदस्यों के परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा था लेकिन उसने स्वयं सहायता समूह से एक लाख रुपये कर्ज लिया और कुछ पैसा अपने पास से लगाकर डेढ़ साल पहले रेडीमेड गार्मेंटस की गांव में दुकान खोली ओर अब वह हर माह आठ से दस हजार रुपये माह कमा लेती है। बोलीं कि दो भैंस खरीद ली है, जिससे उनकी आमदनी और बढ़ेगी।

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रोशन कर रही जिले का नाम

बड़ागांव की मुन्नी बेगम, मुरसलीन तथा रुकसाना ने गरीबी को हराने की मिसाल पेश कर रही। हैंडलूम

उत्पादों में बागपत का नाम रोशन कर रहीं। कई बार अंतरर्राष्ट्रीय व्यापार मेला दिल्ली में हैंडलूम उत्पादों की बिक्री को स्टाल लगा चुकीं हैं। सिसाना की वर्षा और अहमदशाहपुर पदड़ा गांव की पूजा तो बिजली बिल वसूलकर हर माह दस से पंद्रह हजार रुपये कमाती हैं।

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लंबा हुआ कारवां

-4844 स्वयं सहायता समूहों में बागपत की 50460 महिला सदस्य हैं। इनमें 21384 महिला स्वरोजगार के दम पर गरीबी को हराने में जुटी हैं।

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-हजारों महिला स्वरोजगार कर गरीबी उन्मूलन में जुटी हैं। सरकार चार साल में स्वयं सहायता समूहों पर 64 करोड़ रुपये का फंड दे चुकी है।

-ब्रजभूषण सिंह, उपायुक्त-राष्ट्रीय आजीविका मिशन

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