पंचायत सचिव निलंबित, विरोध में की हड़ताल

डीपीआरओ तथा पंचायत सचिवों का विवाद निपटाने में प्रशासन फेल साबित हो रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 09:32 PM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 09:32 PM (IST)
पंचायत सचिव निलंबित, विरोध में की हड़ताल
पंचायत सचिव निलंबित, विरोध में की हड़ताल

बागपत, जेएनएन। डीपीआरओ तथा पंचायत सचिवों का विवाद निपटाने में प्रशासन फेल साबित हो रहा है। सीडीओ की बैठक का बहिष्कार करने पर पंचायत सचिव प्रमोद कुमार को निलंबित करने पर पंचायत सचिवों ने हड़ताल कर और धरना देकर फिर आंदोलन की राह पकड़ ली है।

जिला विकास अधिकारी बीबी सिंह ने ग्राम विकास अधिकारी प्रमोद कुमार को निलंबित कर दिया। प्रमोद

कुमार ग्राम्य विकास अधिकारी-ग्राम पंचायत अधिकारी समन्वय समिति के जिलाध्यक्ष हैं। निलंबन आदेश में कहा कि गुरुवार को सीडीओ की समीक्षा बैठक में प्रमोद कुमार ने कहा कि बैठक में डीपीआरओ रहेंगे, तो हम मौजूद नहीं रहेंगे। प्रमोद कुमार सभी पंचायत सचिवों को लेकर बाहर निकल गए, जिससे शासकीय कार्य में बाधा पैदा अनुशासनहीनता और अधिकारियों के आदेश की अवहेलना की है।

प्रमोद कुमार के निलंबन का पता चलते ही जिले के पंचायत सचिवों ने हड़ताल शुरू कर दी। बागपत तथा पिलाना ब्लाक पर धरना देकर निलंबन का विरोध जताया। प्रमोद कुमार, कृष्णपाल तोमर व जौनी चौधरी और प्रेम कुमार आदि पंचायत सचिवों ने कहा कि 24 दिन से डीपीआरओ पर मंत्री व अधिकारियों के नाम पर अवैध वसूली का आरोप लगाकर विरोध जता रहे।

उन्होंने कहा कि डीपीआरओ पर कार्रवाई के बजाय उल्टे भ्रष्टाचार का विरोध करने वाले पंचायत सचिवों का उत्पीड़न किया जा रहा है, जिसे सहन नहीं करेंगे। डीपीआरओ बनवारी सिंह भी अपने पर लगे आरोपों को खारिज कर कहते रहे कि पंचायत सचिवों ने लाखों का गबन कर रखा है। आखिर पिस तो जनता रही है ना..

-डीपीआरओ और पंचायत सचिवों के बीच 24 दिन से विवाद जारी रहने से 244 ग्राम पंचायतों में तमाम काम ठप है। मनरेगा और स्वच्छता धड़ाम हो गई है। जन्म-मृत्यु के प्रमाण पत्र बनवाने को लोग मारे-मारे फिर रहे। विधवा, वृद्धावस्था, दिव्यांग पेंशन, शादी अनुदान योजना, पारिवारिक लाभ योजना, सामुदायिक शौचालयों का हैंडओवर नहीं होना, विकास एवं निर्माण आदि काम चौपट हैं। हैंडपंपों रिबोर नहीं हो रहे हैं।

यूं कहिए कि पंचायत सचिवों की हड़ताल से गांवों की सरकार ठप है, जिसका खामियाजा ग्रामीणों को ही भुगतना पड़ रहा।

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