औषधीय पौधों से महकेगी बागपत की बगिया
बारिश सिर पर है लेकिन पौधारोपण की तैयारी अधूरी है।
बागपत, जेएनएन। बारिश सिर पर है, लेकिन पौधारोपण की तैयारी अधूरी है। वहीं महत्वपूर्ण यह है कि कोरोना ने पौधारोपण को प्रजातियां बदलने
को मजबूर कर दिया। बागपत की बगिया अब औषधीय और फलदार पौधों से महकेगी। यानी भविष्य में बीमारियों से छुटकारा पाने को दवा और इम्युनिटी पावर बढ़ाने को फल मिलेंगे।
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बंपर लक्ष्य
-बागपत में 12.55 लाख पौधारोपण का लक्ष्य मिला है। इसमें 2.49 लाख वन विभाग तथा बाकी 10 लाख दूसरे विभागों का लक्ष्य है।
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आधी-अधूरी तैयारी
-सीडीओ ने गत सप्ताह 13 विभागों के अधिकारियों को लिखे पत्र में 7.38 लाख पौधों के सापेक्ष छह हजार गड्ढें खुदने का हवाला दिया है। हालांकि वन विभाग का दवा है कि 85 फीसदी गड्ढे खुद चुके हैं।
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कोरोना में बदल गई सोच
-कोरोना ने पौधारोपण पर सोच बदल दी है। अब औषधीय तथा फलदार प्रजातियों के पौधारोपण पर जोर रहेगा। 20 फीसदी फलदार जैसे आम, जामुन, अमरूद, करौंदा, नीबू, पपीता, कटहल आदि फलदार पौधारोपण होगा। वहीं नीम, सहजन, तुलसी, ब्राम्ही, पीपल, आक और बरगद जैसे औषधीय पौधारोपण होगा। मकसद साफ है कि भविष्य में बीमारी से निपटने को दवाई,
खाने को फल और सांस लेने को आक्सीजन भरपूर मिले।
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26 लाख पौध तैयार
-वन विभाग ने सात नर्सरियों में विभिन्न प्रजातियों के 26 लाख पौध तैयार की है। पौधोरोपण के लिए पौध पिछले साल की तरह मुफ्त मिलेंगे या शुल्क देकर, इसका शासन स्तर से होना बाकी है।
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सूख गए पिछले साल के पौधे
-एक अधिकारी आफ द रिकार्ड कहते हैं कि हर साल जितना पौधारोपण होता है यदि उसका आधे पौधे भी बच जाते तो फिर
बागपत में वृक्षों के सिवा कुछ और नजर हीं नहीं आता। उनकी बात में दम है, क्योंकि पौधारोपण के बाद अफसरान देखभाल कराना भूल जाते हैं। अफसरान का जोर केवल ज्यादा पौधारोपण की रिपोर्ट भेजकर आला अफसरान को खुश करने तक ही रहता है। यदि ऐसा नहीं तो फिर बागपत में वन एरिया एक फीसदी से कम क्यों है।
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पौधारोपण की तैयारी पूरी है। वन विभाग 100 प्रतिशत तथा दूसरे विभाग 70 प्रतिशत गड्ढे खुदवा चुके हैं। पौध की कोई भी
कमी नहीं है। पिछली साल के 90 प्रतिशत पौधे जीवित हैं।
-कल्याण सिंह, प्रभारी डीएफओ
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-पौधारोपण का लक्ष्य पूरा होगा। शासन से कार्यक्रम आने पर पौधारोपण कराएंगे। मनरेगा से देखभाल के लिए 100 पौधों पर एक श्रमिक रखवाएंगे।
-हुब लाल-जिला विकास अधिकारी