सपा को झटका देकर बबली ने थामा भाजपा का दामन
जेएनएन बागपत। सियासत में कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। अनुसूचित जाति महिला के लिए
जेएनएन, बागपत। सियासत में कब क्या हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित सीट पर भाजपा का कोई प्रत्याशी नहीं जीता था। इससे भाजपा जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी की रेस से बाहर थी, लेकिन सपा के टिकट पर जिला पंचायत सदस्य चुनी गईं बबली देवी भाजपा में शामिल हो गईं। इससे जहां भाजपा को प्रत्याशी मिल गया, वहीं सपा को करारा झटका लगा है। बदले समीकरण में जिला पंचायत की सियासत में रालोद को अध्यक्ष पद के चुनाव में अब कड़ा संघर्ष करना पड़ेगा, क्योंकि भाजपा से बबली देवी का चुनाव लड़ना तय है।
सिघावली अहीर की बबली देवी ने अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित जिला पंचायत वार्ड 18 से सपा के टिकट पर चुनाव लड़कर कुल 13319 वोट लेकर जीत दर्ज कराई थी। रविवार को बबली देवी ने पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस बागपत में भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा सांसद डा. सत्यपाल सिंह, विधायक योगेश धामा, विधायक केपी मलिक, भाजपा के क्षेत्रीय पर्यवेक्षक डीके शर्मा तथा जिलाध्यक्ष सूरजपाल गुर्जर ने भाजपा ज्वाइन करा बबली देवी का स्वागत किया। इसके साथ ही जिला पंचायत अध्यक्ष पद की उम्मीदवार भी घोषित कर दिया।
इस मौके पर बबली देवी ने कहा कि भाजपा की नीतियां अच्छी हैं, इसलिए वह भाजपा में शामिल हुईं। बबली देवी के कदम से भाजपा की राह आसान हो गई। दरअसल, जिला पंचायत अध्यक्ष पद अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित है, लेकिन चुनाव लड़ाने को भाजपा के पास अनुसूचित जाति से चुनी हुई कोई महिला जिला पंचायत सदस्य नहीं थी।
बबली देवी के आने से अब भाजपा के पास पांच जिला पंचायत सदस्य हैं। अब भी भाजपा की जीत तभी संभव है, जब कम से कम छह और सदस्यों का इंतजाम पार्टी के नेता कर लें। बबली देवी के भाजपा में जाने के बाद अब सपा के जिला पंचायत सदस्यों की संख्या चार से घटकर तीन रह गई है।
बबली देवी के भाजपा में जाने से सर्वाधिक खलबली रालोद में है। बबली यदि भाजपा में शामिल नहीं होतीं, तो उम्मीदवार न होने से भाजपा जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ पाती। बेशक रालोद के पास नौ और सपा के पास तीन जिला पंचायत सदस्य हैं, लेकिन भाजपा के मैदान में कूदने से अब रालोद को कड़ा संघर्ष करना पड़ सकता है।