घूमा चाक और बनने लगे दीये

चीन से चल रही तकरार के बाद चाइनीज सामान पर लगाए गए प्रतिबंध के बाद इस बार दीप बनाए जा रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Oct 2020 09:00 PM (IST) Updated:Wed, 28 Oct 2020 09:00 PM (IST)
घूमा चाक और बनने लगे दीये
घूमा चाक और बनने लगे दीये

बागपत, जेएनएन। चीन से चल रही तकरार के बाद चाइनीज सामान पर लगाए गए प्रतिबंध के बाद इस बार दीपावली पर मिट्टी के दीयों से घर जगमाएंगे। त्योहार को देखते हुए कुम्हारों के घरों में चाक घूमनी शुरू हो गई है। करवा चौथ और अहोई के करवे और दीपक बनाने में लगे हुए हैं। दीपावली से पहले बाजार में दीये की बिक्री शुरू हो जाएगी।

त्योहारों की बेला शुरू होते ही कुम्हारों की चाक की रफ्तार भी तेज हो गई है। पहले तो दशहरा पर्व पर मिट्टी की कुल्हड़ बनाए थे। अब करवा चौक और अहोई के करवे के साथ-साथ दीये बनाए जा रहे हैं। हर रोज तीन से चार हजार दीये बनाए जा रहे हैं। राज सिंह प्रजापति, देवीराम, ललित, राखी ने बताया कि दीपावली को देखते हुए तेजी के साथ दीपक बनाए जा रहे है। इस बार पहले के मुकाबले ज्यादा दीये बिकने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि इस बार मिट्टी की सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है। 1500 रुपये में एक बुग्गी मिट्टी मिल रही है, जो परेशानी का कारण है। आस-पास से मिट्टी सस्ती दर पर मिल जाती, तो आमदनी अच्छी होती और दीपक बनाते है। वहीं बिजली भी महंगी हो गई है। केवल दाल रोटी का जुगाड़ हो जाएगा, इससे ज्यादा और कुछ नहीं है। उनके बनाए हुए दीये जिले के अलावा आस-पास के जिलों में बेचने के लिए जाएंगे। इस बार उम्मीद है कि ज्यादा दीये बिकेंगे, क्योंकि चाइनीज सामान खरीदने में लोग रूची नहीं ले रहे है। इस बार मिट्टी के दीये से ही लोग काम चलाएंगे। तीन तरह के बनाए दीये

राखी ने बताया कि इस बार तीन तरह के दीये बनाए गए हैं। तीन मंजिला दीया, शिवलिग वाला दीया और पंचमुखी दीया बनाया हैं। बाजार में इसकी डिमांड बढ़ेगी ऐसी उम्मीद है। ये दीये देखने में काफी अच्छे लगते है। इससे घरों की शोभा बढ़ेगी और पूजा स्थल पर भी आकर्षण का केंद्र रहेगा। मिट्टी के दीए जलाने की पुरानी परंपरा

--पुरानी परंपराओं के अनुसार दीपावली पर घरों मिट्टी के दीए जाने से लक्ष्मी का वास होता है और परिवार में सुख, शांति बनी रहती है और समृ्िद्ध मिलती है। इसी परंपरा के अनुसार अभी भी मिट्टी के दीए जलाए जाते हैं।

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