घटयात्रा के साथ पंचकल्याणक महोत्सव आरंभ

बड़ौत के बड़ा जैन मंदिर भवन में शनिवार को छह दिवसीय पंचकल्याण महोत्सव का शुभारंभ हुआ। इस मौके पर अनुयाइयों ने घटयात्रा निकाली।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 25 Jan 2020 11:32 PM (IST) Updated:Sat, 25 Jan 2020 11:32 PM (IST)
घटयात्रा के साथ पंचकल्याणक महोत्सव आरंभ
घटयात्रा के साथ पंचकल्याणक महोत्सव आरंभ

जागरण न्यूज नेटवर्क, बागपत: नवनिर्मित श्री 1008 मुनि सुव्रतनाथ जिन मंदिर का छह दिवसीय मज्जिनेंद्र जिनबिब पंचकल्याणक महोत्सव शनिवार को धार्मिक कार्यक्रमों के बीच विधिवत आरंभ हो गया। शहर के दिगंबर जैन कालेज के ए-फील्ड में सजाई गई राजगृह नगरी में पंचकल्याणक के शुभारंभ पर जैन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी।

आचार्य श्री 108 धर्मसागर जी महाराज नसिया कमेटी के तत्वावधान व उपाध्याय श्री 108 गुप्तिसागर महाराज के सानिध्य में 25 से 30 जनवरी तक आयोजित होने वाले महोत्सव का शुभारंभ घट यात्रा से किया गया। बड़ा जैन मंदिर से शुरू हुई घटयात्रा ए-फील्ड में बनाई गई राजगृही नगरी में पहुंची, जहां धर्मध्वजारोहण सौरभ जैन व आजर्व जैन ने, मंडप उद्घाटन धनपाल जैन व सुधांशु जैन ने, अखंड जोत तरश चंद व दीपक जैन ने किया। घट यात्रा में सबसे आगे धर्म ध्वजा, धर्म चक्र, विमान, 16 बोगियों के साथ भगवान बाहुबली की बोगी आकर्षण का केंद्र रही। इस मौके पर सुखमाल चंद्र जैन, अनिल, कमल, आंनद, अमित, पवन, वीरेंद्र पिटी, प्रवीण, गौरव, अजय, सुनील, सिद्धार्थ, राकेश आदि श्रद्धालु शामिल हुए।

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ड्रोन से की गई पुष्प वर्षा

धर्मध्वजारोहण के समय ड्रोन से गुलाब के फूलों की वर्षा की गई। इसके बाद उपाध्याय श्री गुप्ति सागर महाराज के सानिध्य में पंडित अजित शास्त्री ने मंत्रोच्चारण किया। इस दौरान सिर पर कलश धारण किए इंद्राणियां व श्रद्धालु धर्म ध्वजा के चारों तरफ मौजूद रहे। सभी ने इन्हें नमन किया।

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राजगृह नगरी में शुरू

हुआ पंचकल्याणक

राजगृह नगरी में पंडित अजित शास्त्री के निर्देशन में भगवान श्री जी की मूर्ति को विराजमान करने के बाद मंत्रोच्चारण के साथ कलश की स्थापना की गई। दीप प्रज्ज्वलन के बाद उपाध्याय गुप्ति सागर महाराज ने धर्मसभा में प्रवचन किए। उन्होंने कहा कि आज पंचकल्याणक का प्रथम दिन है। जहां पंचकल्याणक होता है, वहां कल्याण ही होता है।

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गर्भकल्याणक नाटक का मंचन

रात्रि में श्रीजी की भव्य आरती के बाद शास्त्र सभा, गर्भकल्याणक नाटकीय उत्सव का आयोजन किया गया। कलाकारों ने माता के सात स्वप्न का भव्य मंचन किया।

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