बदल रहा बंधुआ मजदूरी का ट्रेंड

यूनिसेफ एवं जिला प्रशासन के तत्वावधान में विकासभवन में बागपत के इतिहास में पहली बार बाल संरक्षण बाल श्रम और बंधुआ श्रम पर आयोजित कार्यशाला में बचपन बचाने और बंधुआ मजदूरी से निपटने पर मंथन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Aug 2019 10:20 PM (IST) Updated:Wed, 28 Aug 2019 10:20 PM (IST)
बदल रहा बंधुआ मजदूरी का ट्रेंड
बदल रहा बंधुआ मजदूरी का ट्रेंड

बागपत, जेएनएन। यूनिसेफ एवं जिला प्रशासन की ओर से बुधवार को विकास भवन में बागपत के इतिहास में पहली बार बाल संरक्षण, बाल श्रम और बंधुआ श्रम पर आयोजित कार्यशाला में बचपन बचाने और बंधुआ मजदूरी से निपटने पर मंथन किया गया। यूनिसेफ की हेड रुथ लिआनो ने कहा कि अनमोल है बचपन। सामूहिक प्रयास करने होंगे। नियम-कायदों का सहारा लेकर समस्याग्रस्त बचपन को बचाने का काम करें।

डीएम शकुंतला गौतम ने कहा कि कार्यशाला आयोजन कराने का मकसद अधिकारियों व स्वयं सेवी संस्थाओं को बाल संरक्षण, बाल श्रम और बंधुआ मजूदरी को रोकने को बने नियम-कायदों की जानकारी देने को कराया गया है। बाल श्रम और बंधुआ मजदूरी की समस्या से निपटने को हर किसी को संवेदनशील बनना होगा। ईंट-भट्ठों पर आए दिन बंधुआ मजूदरी की शिकायतें आतीं हैं। अधिकारियों और विशेषकर एसडीएम और श्रम विभाग तथा बाल संरक्षण अधिकारी को खास ध्यान देकर बचपन बचाने का काम करना होगा। यूनिसेफ के बाल संरक्षण विशेषज्ञ आफताब अहमद ने अधिकारियों को बाल संरक्षण व बाल श्रम की समस्या से निपटने और उनके पुनर्वास के लिए सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने की अपील की।

श्रम विभाग के स्टेट को-आर्डिनेटर सैय्यद रिजवान अली ने कहा कि बंधुआ मजूदरी का ट्रेंड बदल रहा है। कुछ सालों पूर्व उड़ीसा, बिहार, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल आदि राज्यों के श्रमिकों से बागपत में बंधुआ मजदूरी कराई जाती थी पर अब बागपत के श्रमिकों को गुजरात, राजस्थान और खासकर जयपुर, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों से रेस्क्यू करके लाए जाते हैं।

पहले बागपत के श्रमिकों की बागपत में बंधुआ मजदूरी की शिकायतें सुनने को नहीं मिलती थीं, मगर अब धड़ाधड़ ऐसा हो रहा है।

स्टेट कोआर्डिनेटर सैय्यद रिजवान अली ने अधिकारियों को तमाम नियम कायदों की जानकारी देकर कहा कि बंधुआ मजदूरी कराना या बंधक बनाना अपराध है। सीएमओ सुषमा चंद्रा, जिला समाज कल्याण अधिकारी विमल कुमार ढाका, बाल संरक्षण अधिकारी दीपांजलि, श्रम प्रवर्तन अधिकारी पीएन बिजल्वाण, शिक्षा तथा पुलिस अधिकारी और महिला पुलिस कर्मी मौजूद रहीं। पीड़ित को दें आर्थिक मदद

स्टेट कोआर्डिनेटर ने कहा कि बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराने के तुरंत बाद 20 हजार रुपये की सहायता दी जाए। मानवाधिकार आयोग के नियमों के तहत 10 हजार रुपये की दर से फोरी मदद दी जाए।

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..और फंसेंगे अधिकारी

स्टेट कोर्डिनेटर ने कहा कि मानवाधिकार आयोग मानवाधिकारों को लेकर गंभीर है। मानवाधिकार के उल्लंघन का मामलों में कार्रवाई नहीं करने पर संबंधित विभाग के अधिकारी फंसेंगे।

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मुंशी का बयान जरुर लें

स्टेट कोर्डिनेटर ने कहा कि मुक्त कराए बंधुआ मजदूरों के साथ उस भट्ठे के मुंशी का बयान अवश्य दर्ज करें। ईंट-भट्ठे या फैक्ट्रियों, अन्य प्रतिष्ठानों पर बाल श्रम की समस्या हो सकती है।

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