तड़पते मरीजों का निजी वाहन बने सहारा

सरकारी एंबुलेंस के कर्मचारियों की हड़ताल से लोगों की जान पर बन रही है। ऐसे में निजी वाहन मरीजों के लिए सहारा बने।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 06:50 PM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 06:50 PM (IST)
तड़पते मरीजों का निजी वाहन बने सहारा
तड़पते मरीजों का निजी वाहन बने सहारा

बागपत, जेएनएन: सरकारी एंबुलेंस के कर्मचारियों की हड़ताल से लोगों की जान पर बन रही है। फोन करने के बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंच रही है, तो निजी वाहनों से और बाइकों से ले जाकर मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है। बेमियादी हड़ताल से पहले ही दिन परेशानी बढ़ गई है। फोन करने पर भी संतोषजनक जवाब नहीं दिया जा रहा है।

जिले में तीन तरह की एंबुलेंस सरकार की ओर से चल रही है, जिसमें 102 एंबुलेंस बच्चे, गर्भवती व प्रसूता महिलाओं के लिए और 108 एंबुलेंस सड़क हादसे में घायल, गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए संचालित है। एएलएक्स एंबुलेंस सबसे ज्यादा गंभीर रोगियों के लिए हैं। इन एंबुलेंस के कर्मचारियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू करने से पहले ही दिन ही परेशानी बढ़ गई। राजपुर खामपुर गांव में एंबुलेंस की वजह से घंटों तक सड़क हादसे में घायल तड़पता रहा। सोनू पुत्र ब्रह्मपाल हादसे में घायल हो गया था। राहगीर और स्वजन ने एंबुलेंस के लिए फोन किया, लेकिन संतोषजनक जवाब नहीं मिला। हालत बिगड़ती देख स्वजन ने बाइक से लाकर सोनू को जिला अस्पताल में भर्ती कराया। उधर बड़ौत निवासी सोनू ने बताया कि जिला अस्पताल में उसकी पत्नी को महिला अस्पताल में आपरेशन से बेटा हुआ। सोमवार को घर के लिए छुट्टी दी गई थी। घंटों तक उसने एंबुलेंस को काल किया, लेकिन सुविधा नहीं मिली। उसके बाद उसने अपने रिश्तेदार को बड़ौत काल किया, फिर वह बड़ौत से महिला अस्पताल ई-रिक्शा लेकर पहुंचे। ई-रिक्शा से प्रसूता महिला को बड़ौत लेकर पहुंचे। ऐसे छह से अधिक मामले सामने आए हैं। प्रसूता महिलाओं को स्वजन काफी दूर तक पैदल ले जाने को मजबूर होना पड़ा।

chat bot
आपका साथी