वक्त के बड़े पाबंद थे छोटे चौधरी
रालोद सुप्रीमो चौधरी अजित सिंह के निधन के बाद अब उनकी यादें शेष रह गई हैं।
बागपत, जेएनएन। रालोद सुप्रीमो चौधरी अजित सिंह के निधन के बाद अब उनकी यादें शेष रह गई हैं। उनकी तमाम खासियत में से एक खासियत वक्त की पाबंदी थी। जनसभा हो या कोई अन्य कार्यक्रम, हमेशा समय पर पहुंचना उनकी आदत में शुमार था। कई बार तो उनकी इस समयबद्धता को देखकर लोग चौंक जाया करते थे। यदि कोई व्यक्ति समय लेने के बाद विलंब से आता तो अजित सिंह इस पर नाराजगी जताते हुए समय का पाबंद होने की नसीहत भी देते थे।
वर्ष 2005 में ब्राह्मणपुट्ठी के तत्कालीन प्रधान नीरज पंडित ने अपने गांव के पंचायतघर का उद्घाटन कराने के लिए चौ. अजित सिंह से समय लिया था। चौ. अजित सिंह अपने साथ विधायक स्व. नवाब कोकब हमीद को साथ लेकर निर्धारित समय ठीक दोपहर दो बजे पंचायतघर का उद्घाटन करने पहुंच गए, लेकिन तब तक उद्घाटन की तैयारी आधी-अधूरी थी।
नीरज पंडित बताते हैं कि मैं मानकर चल रहा था कि चौधरी साहब तीन बजे से पहले नहीं आएंगे, लेकिन जब उनकी गाड़ियों का काफिला आता देखा तो हाथ-पैर फूल गए। दरअसल, उनके स्वागत के लिए घोड़ी-बग्घी को फूलों से सजाया जा रहा था। इसी बीच आनन-फानन में चौधरी साहब का स्वागत किया। चौधरी साहब लेटलतीफी का कारण भांप गए और मुस्कुराकर बोले-नीरज जी, हमेशा समय का ध्यान रखो। चौधरी साहब की प्यार भरी नसीहत ने मुझे हमेशा के लिए समय का पाबंद बना दिया।
रालोद के ओमबीर ढाका बताते हैं कि जनसभा हो या कोई दूसरा कार्यक्रम, हमेशा चौधरी साहब समय पर पहुंचते थे। कई बार तो वह संबंधित कस्बे अथवा शहर में समय से पहले ही पहुंचकर किसी कार्यकर्ता के घर या गेस्ट हाउस में रुक जाते थे। इसके बाद तय समय पर कार्यक्रम स्थल पर पहुंच जाते थे।