गांव के गांव गंदगी से लबालब, अफसरों के घर-आंगन माज रहे सफाईकर्मी

गांवों में स्वच्छ भारत मिशन को पलीता लग रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 Mar 2019 12:23 AM (IST) Updated:Wed, 27 Mar 2019 12:23 AM (IST)
गांव के गांव गंदगी से लबालब, अफसरों के घर-आंगन माज रहे सफाईकर्मी
गांव के गांव गंदगी से लबालब, अफसरों के घर-आंगन माज रहे सफाईकर्मी

बदायूं : स्वच्छ भारत मिशन पर गांवों में पलीता लग रहा है। साठगांठ से हो रही कामचोरी की वजह से गांव के गांव गंदगी से लबालब हैं। वो इसलिए बड़ी संख्या में गांवों में सफाई के लिए तैनात कर्मी अफसरों के घर-आंगन को माज रहे हैं। एक-एक अधिकारी के यहां दो-दो सफाई कर्मचारी अटैच हैं। मौजूदा समय में हर ब्लॉक के बीडीओ के यहां दो सफाई कर्मचारी अटैच है जो सरकारी वाहनों से लेकर उनके निजी वाहनों पर भी ड्राइवरी कर रहे हैं। यही वजह है कि गांवों में साफ-सफाई की व्यवस्था फेल चल रही है।

गांव-गांव सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने को हर गांव में दो-दो सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी। करीब 11 साल पहले 1571 सफाई कर्मचारी नियुक्त किए गए थे। सफाई कर्मचारियों की तैनाती के बाद गांवों से गंदगी दूर होने लगी। सरकार की मंशा के अनुरूप गांवों में सफाई हुई तो संक्रामक रोग भी दूर होने लगे। शुरूआत में यह व्यवस्था अच्छी चली लेकिन बाद में अफसरों की अनदेखी और साठगांठ से यह व्यवस्था बेपटरी हो गई। जो कर्मचारी गांवों में सफाई के लिए तैनात थे, उन्हें अधिकारियों के यहां अटैच कर दिया। एक के बाद एक आधे से ज्यादा सफाई कर्मचारी मौजूदा वक्त तक अधिकारियों के यहां अटैच हो चुके हैं इससे गांवों में गंदगी फिर से पसरने लगी है। जिलास्तरीय अधिकारियों के अलावा बीडीओ स्तर तक के अधिकारियों ने अपने निजी वाहनों से लेकर घरों की साफ-सफाई के लिए सफाई कर्मचारियों को लगा लिया है। किसी-किसी बीडीओ पर दो-दो सफाई कर्मचारी अटैच हैं।

जबकि दिनों डीएम दिनेश कुमार सिंह ने सभी कर्मचारियों का अटैचमेंट खत्म करने का आदेश दिया था फिर भी किसी को उनकी मूल तैनाती पर नहीं भेजा गया। फैक्ट फाइल

- 1781 जिले में राजस्व गांव

- 1038 ग्राम पंचायतें

- 1476 आबाद राजस्व गांव

- 1571 जिले में तैनात सफाईकर्मी वर्जन ..

अभी चुनाव चल रहे हैं इसलिए चुनावी कार्यो में कुछ कर्मचारियों को अटैच किया है। बाकी अटैचमेंट वाले कर्मचारियों की सूची तैयार कर उनको मूल तैनाती वाले गांवों में भेजा जाएगा।

- शशिकांत पांडेय, डीपीआरओ

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