गोशाला पर हुए खर्च का लिया जाएगा हिसाब

जिले में गोसंरक्षण को गांव-गांव गोशाला खुली हैं। इनके संचालन की जिम्मेदारी प्रधानों को दी। प्रधानी का कार्यकाल खत्म हो चुका है। प्रशासक नियुक्त हो चुके हैं। प्रधानों ने हाथ खींच लिए हैं इसलिए गोशाला संचालन में दिक्कतें आने लगी हैं। प्रशासन ने गोशाला पर हुए खर्च का हिसाब लेने को आडिट शुरू कराया है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 12:59 AM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 12:59 AM (IST)
गोशाला पर हुए खर्च का लिया जाएगा हिसाब
गोशाला पर हुए खर्च का लिया जाएगा हिसाब

जेएनएन, बदायूं : जिले में गोसंरक्षण को गांव-गांव गोशाला खुली हैं। इनके संचालन की जिम्मेदारी प्रधानों को दी। प्रधानी का कार्यकाल खत्म हो चुका है। प्रशासक नियुक्त हो चुके हैं। प्रधानों ने हाथ खींच लिए हैं, इसलिए गोशाला संचालन में दिक्कतें आने लगी हैं। प्रशासन ने गोशाला पर हुए खर्च का हिसाब लेने को आडिट शुरू कराया है। गोशाला के नाम पर गड़बड़ी करने वालों पर गाज गिर सकती है।

अभी तक प्रधान व सचिव के संयुक्त खातों से गोशाला का संचालन किया जा रहा था। ब्लाकवार एडीओ पंचायत प्रशासक बने हैं। अब भुगतान एडीओ व सचिव के संयुक्त खातों से होगा। अधिकांश ग्राम पंचायतों में अभी तक संयुक्त खाते ही नहीं खुल सके हैं। इसलिए गोवंश पशुओं की ठीक से देखभाल नहीं हो पा रही है। पिछले सप्ताह दातागंज क्षेत्र में गंगा नदी के किनारे सैकड़ों की संख्या में गोवंश पशु भूखे-प्यासे मिले थे। कई की मौत भी हो गई। मौखिक रूप से उन्हें गोशाला तक पहुंचाने की बात तो कही। लेकिन, हकीकत में उन्हें नदी किनारे ही छोड़ दिया। जिले में 123 गोशाला का संचालन किया जा रहा है, जिनमें 7,518 गोवंशीय पशुओं का संरक्षण किया जा रहा है। इनके अलावा तीन पंजीकृत गोशाला भी चल रही हैं, जहां 381 गोवंशीय संरक्षित किए जा रहे हैं। इनसेट ::

निजी गोशाला को भी 70 फीसद मिलेगा अनुदान

प्रशासन से ग्राम पंचायत और नगर निकायों में खुली गोशाला व गोआश्रय स्थलों पर गोवंश पशुओं के हिसाब से बजट दिया जा रहा है। डीएम के प्रयास से अब पंजीकृत गोशाला को भी उपलब्ध गोवंशीय पशुओं के सापेक्ष 70 फीसद के हिसाब से अनुदान शुरू कराया जा रहा है।

इनसेट ::

खुले आसमान के नीचे चल रही है गौशाला

संसू, म्याऊं : ग्राम गूरा बरेला में गोशाला बिना छप्पर या टीनशेड के खुले आसमान के नीचे संचालित हो रही है। इसमें 126 गाय हैं। नतीजा गोवंश पशुओं को भूखे-प्यासे ही रहना पड़ रहा है। पप्पू, सोहनपाल, रमेश, पवन ने एडीओ पंचायत हरिवंश से गोशाला का छप्पर टूटने की शिकायत की थी। एडीओ पंचायत ने बताया कि सचिव ऋषिपाल सिंह से गोशाला की व्यवस्था सही कराने को कहा है। लेकिन, सचिव टालमटोल कर रहे हैं। गोशाला के मजदूर ने बताया कि तीन माह से मजदूरी नहीं मिली है। वर्जन ::

गोशाला संचालन को प्रति गोवंश पशु के हिसाब से बजट दिया जा रहा है। अब इसका आडिट शुरू कराया जा रहा है। चारा या भूसा जिससे भी लिया जा रहा है। उसके खाते में ही भुगतान कराने के निर्देश दिए गए हैं।

- डा.एके जादौन, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी

chat bot
आपका साथी