पराली जलाने की जगह बनाए जैविक खाद

राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना के गोद लिए गांव में जागरूकता अभियान चलाया। फसल अवशेष प्रबंधन पराली न जलाने को प्रेरित किया। स्वयंसेवकों ने खेतों पर जाकर किसानों से संपर्क किया। स्वयंसेवक अभिषेक कुमार हरिमोहन अजय कुमार ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण और वायु प्रदूषण से बचने को जरूरी है कि धान की कटाई के बाद अवशेष बची पराली को जैविक खाद में तब्दील करें।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 12:14 AM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 12:14 AM (IST)
पराली जलाने की जगह बनाए जैविक खाद
पराली जलाने की जगह बनाए जैविक खाद

जेएनएन, बदायूं : राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना के गोद लिए गांव में जागरूकता अभियान चलाया। फसल अवशेष प्रबंधन, पराली न जलाने को प्रेरित किया। स्वयंसेवकों ने खेतों पर जाकर किसानों से संपर्क किया। स्वयंसेवक अभिषेक कुमार, हरिमोहन, अजय कुमार ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण और वायु प्रदूषण से बचने को जरूरी है कि धान की कटाई के बाद अवशेष बची पराली को जैविक खाद में तब्दील करें। स्वयंसेवक सुमित राघव ने गांव बनकोटा में किसानों की गोष्ठी कर पराली जलाने के दुष्प्रभाव व जैविक खाद के लाभ की जानकारी दी। कार्यक्रम अधिकारी डा. राकेश कुमार ने बताया कि जागरूकता अभियान 15 नवंबर तक चलेगा।

chat bot
आपका साथी